क्वींस रोड स्थित झारखंड महादेव मंदिर में एक दिन में हो रहे दो सहस्त्रघट—रुद्राभिषेक में करीब 120 लीटर जल उपयोग में आ रहा है। वहीं, प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक के दौरान भक्तों द्वारा करीब 18 हजार लीटर जल शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। इसे मंदिर परिसर में बने कुएं में पहुंचाया जा रहा है। इस पानी से मंदिर परिसर में लगे पौधों को सींचा जा रहा है।
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1500 गज में तैयार होगी वाटिका
कूकस स्थित सदाशिव ज्योतिर्लिंगेश्वर महादेव मंदिर में अधिक मास में 1500 गज क्षेत्र में वाटिका तैयार की जाएगी। मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ने वाले जल को वाटिका में सिंचाई में इस्तेमाल किया जाएगा। विष्णु नाटाणी ने बताया कि अभी मंदिर में फिल्टर प्वाइंट के जरिए पानी एक टैंक में जाता है। प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक सहित अन्य अनुष्ठान के दौरान चार फीट से अधिक ऊंचे शिवलिंग पर 4500 लीटर क्षमता वाले छह टैंकर से अधिक जल चढ़ता है। इसका इस्तेमाल मंदिर की रसोई और पेड़-पौधों को सींचने में किया जाता है।
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20 हजार लीटर जल का पुन: हो सकेगा इस्तेमाल
चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर में 10 फीट गहरे तथा आठ बाय आठ बाय के तीन केबिन (चैंबर) बने हुए हैं। इसके अलावा बोरिंग भी है। पुजारी विक्रांत व्यास ने बताया कि यहां प्रत्येक सोमवार को लगभग 20 हजार लीटर पानी शिवलिंग पर चढ़ता है। इसे रिसाइकल कर पुन: काम में लिया जा रहा है।