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जयपुर

अनजाने में व्रत करने से मिला चमत्कारिक फल, जानें सफला एकादशी की अनूठी दास्तान

साल की पहली एकादशी सफला एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखकर विष्णुजी की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि हर पखवाड़े के ग्यारहवें दिन आनेवाली एकादशी पर भगवान विष्णु की समर्पित भाव से पूजा अत्यंत शुभ फल देती है। हर एकादशी का अलग नाम है और उसका अपना अलग महत्व भी है।

जयपुरJan 07, 2021 / 08:58 pm

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Safala Ekadashi 2021 Lord Vishnu Worship Ekadashi Vrat 2021

Safala Ekadashi 2021 Lord Vishnu Worship Ekadashi Vrat 2021

जयपुर. साल की पहली एकादशी सफला एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखकर विष्णुजी की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि हर पखवाड़े के ग्यारहवें दिन आनेवाली एकादशी पर भगवान विष्णु की समर्पित भाव से पूजा अत्यंत शुभ फल देती है। हर एकादशी का अलग नाम है और उसका अपना अलग महत्व भी है. सफला एकादशी का व्रत रखने से सारे पाप समाप्त होते हैं और जीवन में सांसारिक खुशियां सहजता से प्राप्त होने लगती हैं।
सफला एकादशी व्रत पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है। ब्रहमांड पुराण में स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को सफला एकादशी व्रत की महत्ता बताई थी। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि सफला एकादशी व्रत के दिन भगवान नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। व्रत के दिन सुबह स्नान करके भगवान की आरती करनी चाहिए और भगवान को भोग लगाना चाहिए। इस दिन गरीबों को भोजन और दान देने का सबसे ज्यादा महत्व है।
सफला एकादशी व्रत की कथा बहुत रोचक है. इसके अनुसार एक राजा का बेटा लुंपक हमेशा भगवान विष्णु के अधिकार को लेकर सवाल करता रहता था। उसके इस रवैये से परेशान होकर राजा ने उसे बेदखल कर दिया। घर से निकालने के बाद भी लुंपक में कोई सुधार नहीं आया। उसने बरगद के पेड़ के नीचे घर बनाकर गरीबों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। और तो और, उसने जानवरों को मारना और उनका कच्चा मांस खाना भी शुरू कर दिया।
एक दिन अचानक वह गंभीर रूप से बीमार हो गया जिसके कारण पूरे दिन कुछ नहीं खा सका और रात भर जागता भी रहा। संयोग से उस दिन सफला एकादशी व्रत था. इस तरह अनजाने में ही उसने सफला एकादशी का व्रत पूरा किया। सुबह होते ही उसकी जिंदगी ही बदल गई. उसे यह एहसास हुआ कि यह सब कुछ भगवान विष्णु की वजह से हुआ है। वह तुरंत अपने पिता के पास गया और अपने किए को लेकर मांफी मांगी। इसके बाद वह सपरिवार हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगा।

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