दरअसल, आरपीएससी के दो सदस्यों बाबूलाल कटारा और रामू राम राईका की गिरफ्तारी के बाद से ही आरपीएससी की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। युवाओं में RPSC के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है।
RPSC को भंग करने का भी उठ चुका है मुद्दा
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सबसे पहले आरपीएससी को भंग करने का मुद्दा उठाया था। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी RPSC को भंग करने की बात कही थी। हालांकि सरकार बदलने के बाद भाजपा सरकार ने तर्क दिया कि आरपीएससी संवैधानिक संस्था, भंग नहीं हो सकती है। किरोड़ीलाल मीणा भी RPSC के पुनर्गठन को लेकर संकेत दे चुके हैं। वहीं, कांग्रेस नेता
सचिन पायलट ने भी आरपीएससी के पुनर्गठन की मांग उठाई है।
विधानसभा में हो सकता है बिल पेश
इसके अलावा RPSC के पुनर्गठन को लेकर जब राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस विषय में मुख्यमंत्री बताएंगे, मैं कुछ बता कर कंट्रोवर्सी में थोड़ी ना आऊंगा। अब ऐसे में राज्य सरकार आरपीएससी में बदलाव करने के लिए जल्द ही विधानसभा में बिल पेश कर सकती है। बिल के जरिए सरकार आरपीएससी की सेवा शर्तों में संशोधन का प्रस्ताव रखेगी और फिर इस बिल के पारित होने के बाद आयोग में अहम बदलाव किए जा सकते हैं।
RPSC का पुनर्गठन करें सरकार- पायलट
बता दें, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एक बार फिर आरपीएससी को भंग करने की मांग की है। दिवंगत विधायक जुबेर खान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पायलट ने कहा था कि, आरपीएससी गंगोत्री है, जहां से लोगों को नौकरी मिलती है। संदिग्ध लोगों को बैठाएंगे जो पैसे लेते हुए पकड़ें जा रहे हैं। जेल जा रहे हैं तो नौजवानों की संस्था के प्रति क्या आस्था बचेगी। उसे कौन मानेगा। पायलट ने कहा कि भाजपा में सत्ता और संगठन में बहुत खिंचाव है। चाहे देश हो या प्रदेश हो। संगठन कुछ बोलता है सरकार कुछ बोलती है।