जिस तरह हनुमान जी श्रीराम के कार्य को पूरा करने के लिए उडक़र जाते हैं, उसी प्रकार से हनुमान भक्त अपने इष्ट के दर्शनों के लिए उडक़र यानी रोप-वे में बने खटोले में बैठकर धाम तक आसानी से पहुंच सकेंगे। पहले भक्तों को 8 सौ के करीब सीढिय़ां चढऩे में थाकान होती थी, लेकिन अब नहीं होगी।
– 07 करोड़ की लागत से बनेगा रोप-वे। – 400 लोग एक घंटे में जा सकेंगे। – 800 सीढिय़ा चढकऱ जाना पड़ता है मंदिर। रोप-वे सेंसर युक्त होगा
रोप-वे सेंसर युक्त होगा। मामूली खराबी की भी जानकारी मिल जाएगी। टॉलियों के दरवाजे सेंसर युक्त होंगे जो किसी भी सूरत में चलते समय नहीं खुलेंगे। रोप-वे के लिए ऑटोमेटिक जेनरेटर होगा जो बिजली गुल होने पर भी चालू रहेगा।
चौमूं से नांगल भरड़ा से सामोद वीर हनुमान मंदिर के लिए हर ट्रोली पांच मिनट में एक फे रा तय करेगी। शुरू में चार टोलियां चलाई जाएंगी। सभी टोलियां अलग-अलग रंग की होंगी। इन टॉलियों में एक घंटे में 400 यात्री सफ र कर सकेंगे।
जयपुर में जलमहल से जयगढ़ के बीच रोप-वे बनने की कोशिश कई बार हुई लेकिन योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया गया। जिस तरह जयपुर में मेट्रो का आकर्षण का केन्द्र था। उसी प्रकार से चौमूं स्थित वीर हनुमान मंदिर में रोप-वे का आकर्षण का केन्द्र रहेगा।