इसके अलावा निवेशकों (अप्रवासी राजस्थानी उद्योगपति भी) के साथ राउंड टेबल मीटिंग भी होगी। सरकार ने विदेश मंत्रालय को इसकी जानकारी भेज दी है। साथ ही इन देशों के भारत में उच्चायुक्तों को पत्र लिखा जा चुका है। संभवतया अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितम्बर के पहले सप्ताह में विदेश यात्रा का दौर शुरू हो जाएगा। सीआईआई को समिट पार्टनर बनाया है।
देश में भी होंगे रोड शो
दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलूरू, अहमदाबाद, चेन्नई, सूरत, कोच्ची, गुवाहाटी, कोलकाता, इन्दौर, भोपाल, रायपुर, लखनऊ में से किन्हीं 6 से 9 शहरों में भी रोड शो किए जाएंगे। पीएम मोदी भी करेंगे उद्योगपतियों से बात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जयपुर में उद्घाटन सत्र के बाद देश-विदेश के चुनिंदा निवेशकों के साथ चर्चा कर सकते हैं। उद्योग विभाग ऐसे निवेशकों को बुलाने की तैयारी कर रहा है। वहीं टेस्ला कंपनी के एलन मस्क के प्रतिनिधियों से भी विदेश मंत्रालय के जरिए संपर्क साधा जा रहा है। लक्ष्य और चुनौती का रखना होगा ध्यान
1. लक्ष्य : राज्य सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपए निवेश का लक्ष्य तय किया है। इनमें मुख्य सेक्टर ऊर्जा, चिकित्सा-स्वास्थ्य, कृषि, आईटी, पर्यटन, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर है।
2. चुनौती: एमओयू-एलओआई कागजों की बजाय धरातल पर उतरे, यह चुनौती है। इसके लिए सरकार कई पॉलिसी में बदलाव कर रही है और एक-दो नई पॉलिसी भी ला रही है। पिछली कांग्रेस सरकार में करीब 12 लाख करोड़ के एमओयू-एलओआई हुए, लेकिन धरातल पर उतरने की स्ट्राइक रेट करीब 25 प्रतिशत ही रही।
निवेशक ठिठके नहीं, इसलिए यहां भी हो फोकस
1. सस्ती बिजली मिले: निवेश की दृष्टि से कई राज्यों की तुलना में राजस्थान में उद्योगों के लिए बिजली दर महंगी है। 2. पानी की उपलब्धता: उद्योगों के लिए पानी आवंटन का कोई स्थायी प्लान नहीं है। इसी कारण एनसीआर से जुड़े प्रदेश की औद्याेगिक क्षेत्र में कई बड़े निवेशक नहीं आ रहे। निवेशक पंजाब, हरियाणा और दक्षिणी राज्यों की तरफ जाते रहे हैं। 3. जमीन आवंटन: जमीन आवंटन के लिए निवेशक कई वर्ष तक इंतजार करते रहते हैं। आवंटन नीति है, लेकिन प्रक्रिया को टाइम बाउंड करने की जरूरत।