जेडीए अधिकारियों की मानें तो मास्टरप्लान में यह रोड 200 फीट की प्रस्तावित है। इसकी लम्बाई करीब पांच किमी है। हालांकि, काश्तकारों और स्थानीय लोगों के विरोध के चलते पांच में से करीब तीन किमी सडक़ का काम ही पूरा हो पाया। उसके बाद मामला कोर्ट में चला गया और सडक़ अधूरी रह गई।
इस पूरी प्रक्रिया में 200 फीट की सडक़ को बनाने के लिए 100 मकान और दुकानों को तोडऩे की प्रक्रिया होगी। इसके बाद सांगानेर से महल रोड पर आवाजाही आसान हो जाएगी और टोंक रोड पर भी वाहनों का दबाव कम होगा।
जेडीए अधिकारियों की मानें तो जो डिमार्केशन किया गया है। उसमें करीब 1200 मीटर में कार्रवाई होगी। सांगानेर की ओर करीब 700 मीटर और दूसरी ओर करीब 500 मीटर सडक़ सीमा से कब्जे हटाए जाने हैं। इसके अलावा 700 से 800 मीटर का हिस्सा का पूर्व में डिमार्केशन किया जा चुका है। उस पर सडक़ का निर्माण होना है। अभी तक उपयोगिता न होने की वजह से इस पर सडक़ नहीं बनाई जा रही थी।
-इस सडक़ को चौड़ा करने से एयरपोर्ट टर्मिनल के सामने करीब 80 से 90 दुकान और मकान हटाए जाएंगे। इसके अलावा बीच में 400 मीटर की जमीन पर स्ट्रक्चर बीच में आ रहे हैं। इनको नोटिस देने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-जो प्रकरण कोर्ट में लम्बित हैं, जोन उन मामलों का विधिक परीक्षण करवाने के बाद ही नोटिस देगा। जिन मामलों में मुआवजा देने का फैसला सरकार के स्तर पर होगा। जेडीए रिपोर्ट बनाकर नगरीय विकास विभाग को भेजेगा।
-एयरपोर्ट टर्मिनल के सामने सडक़ महज 60 फीट की है। ऐसे में लोगों को आवाजाही में दिक्कत होती है।
-सांगानेर चौराहे से महल रोड स्थित सात नम्बर चौराहे पर जाने के लिए अभी वाहन चालकों को कई कॉलोनियों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में शाम को कई बार कॉलोनियों में ट्रैफिक जाम हो जाता है। इन कॉलोनियों में से रोज 10 से 12 हजार वाहन निकलते हैं।