उन्होंने कहा कि आज देश को सस्ते नारों की नहीं, शक्ति की आवश्यकता है। पथ संचलन में संघ के स्वयंसेवकों के कदम से कदम मिलते हैं तो मन से मन भी मिलते हैं और घोष के माध्यम से वादको का श्वास से विश्वास मिलता है। इसी कारण स्वयंसेवकों में संगठन का भाव उत्पन्न होता है।
विद्याधर भाग के कार्यक्रम में संघ के क्षेत्रीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख ग्यारसीलाल ने कहा कि शस्त्र पूजन शक्ति उपासना का पर्व है जो समाज के उत्थान का माध्यम है। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम तथा द्वापर में श्रीकृष्ण ने शक्ति संपन्न संगठित समाज रचना की प्रेरणा दी थी। उन्होंने कहा कि देश सेवा में अपने आप को समर्पित कर देना स्वयंसेवक के लिए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।
रामनिवास बाग के फुटबॉल मैदान में आयोजित ऋषि गालव भाग के कार्यक्रम में संघ के प्रांत बौद्धिक शिक्षण प्रमुख रमेश पारीक ने कहा कि भय के बिन होए न प्रीत का दोहा आज के समय में चरितार्थ हो रहा है। भगवान श्रीकृष्ण ने दानवों का मर्दन तो किया, लेकिन जनसेवा भी की। आज के युवा भी हनुमान की तरह बल भूल हो गए हैं, हमें उस शक्ति को जागृत करने का समय आ गया है।
मालवीय भाग के विश्वविद्यालय नगर, विवेकानंद नगर, महेश नगर, मालवीय नगर, सरस्वती नगर व गोपाल नगर में शस्त्र पूजन के बाद स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। किशनपोल बाजार में मुस्लिम संगठनों के लोगों ने भी संचलन का स्वागत किया तथा जयघोष लगाए। इस दौरान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल, राज्य मंत्रालयिक सेवा के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष नंदसिंह, आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के विभागाध्यक्ष डॉ संजीव शर्मा आदि मौजूद थे