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ग्रामीण पर्यटन को नई पहचान
कोरोना महामारी के बाद विदेशी सैलानियों का पर्यटन के प्रति नजरिया बदला है। जयपुर आने वाले 40 प्रतिशत सैलानी शहर की भीड़भाड़ से दूर ग्रामीण पर्यटन को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। वर्ष 1903 में निर्मित रामगढ़ बांध में पानी भरने के बाद यह पर्यटन मानचित्र पर जयपुर की नई पहचान करवाएगा। साथ ही बांध से जमवारामगढ़, शाहपुरा समेत चार तहसीलों के एक हजार गांवों को पानी की व्यवस्था होगी। परियोजना के तहत बांध में 2600 एमसीएफटी पानी भरा जाएगा।
लाया जाएगा चंबल का पानी
सरकार पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के तहत नवनैरा, गलवा, बीसलपुर-ईसरदा बांध परियोजना के तहत चंबल का पानी ईसरदा बांध लेकर आएगी। बांध में चंबल से 10 टीएमसी से ज्यादा पानी लाया जाएगा। ईसरदा बांध से सवाई माधोपुर जिले के कई इलाकों में पानी पहुंचेगा।
एक नजर: रामगढ़ बांध पर
महाराजा माधोसिंह द्वितीय ने 1897 में बांध का निर्माण शुरू कराया
1903 में बांध बनकर तैयार हो गया
बांध में रोडा, बाणगंगा, ताला, माधोवेणी नदी से पानी की आवक होती थी
बांध की कुल भराव क्षमता 2600 एमसीएफटी है
1924 और 1977 में बांध ओवरफ्लो हुआ
1982 में बांध में एशियन गेम्स के आयोजन के तहत नौकायन प्रतियोगिताएं हुईं
लगेंगे परियोजना को पंख
नवनैरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा परियोजना पर काम कर रहे जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों ने कहा कि परियोजना की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। नई सरकार बनते ही काम शुरू कर देंगे और चार वर्ष में चंबल का पानी ईसरदा बांध में लाया जाएगा। इसी दौरान ईसरदा से रामगढ़ बांध को भरने की परियोजना भी पूरी हो जाएगी। इस परियोजना पर 1250 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
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जिले को मिलेगा नया बांध
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार अगर कहीं भी नया बांध बनाया जाता है तो उसका अनुमानित खर्च एक हजार करोड़ के आस-पास रहता है। रामगढ़ बांध को फिर से जिंदा होने पर एक हजार करोड़ की बचत तो होगी ही साथ ही बांध में पानी आने पर कोटपूतली, दौसा जिलों तक भूजल का स्तर बढ़ेगा।