इन नेताओं में से बन सकता है अध्यक्ष
पार्टी की पहली पसंद कैलाश चौधरी हैं। लोकसभा की कई सीटें जाट बाहुल्य हैं। अगर चौधरी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाता है तो इन सीटों पर सीधा फायदा मिलेगा। सतीश पूनियां को जब प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाया गया था, तब जाट समाज ने नाराजगी भी जताई थी। हालांकि पार्टी ने उन्हें उपनेता प्रतिपक्ष का पद देकर इस नाराजगी को कुछ हद तक दूर करने का प्रयास किया था। वहीं, वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ भी इस रेस में शामिल हैं।
कई टिकट बदलेंगे
लोकसभा चुनाव अगले साल मई में हो सकते हैं। ऐसे में अप्रेल तक आचार-संहिता लगने की संभावना है। पार्टी ने जिस तरह से विधानसभा चुनाव में टिकटों में बदलाव किया था। इस बार उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में भी कई चेहरे बदले जा सकते हैं। यही वजह है कि 6 लोकसभा सांसदों को चुनाव लड़ाया गया।