डीजी साइबर क्राइम प्रियदर्शी ने बताया कि भारत सरकार के पोर्टल पर चोरी व गुम हुए और सन्दिग्ध मोबाइल का डाटा रहता है। जब इन मोबाइल पर कोई व्यक्ति नई सिम डालकर प्रयोग करने की कोशिश करता है तो “अलर्ट” के रूप में उसकी लोकेशन नजदीकी थाने पर आ जाती है। उन्होंने आम लोगों को सलाह दी है कि मोबाइल चोरी या गुम हो जाने पर उसकी गुमशुदगी नजदीकी थाने पर दें या राजस्थान पुलिस के पोर्टल पर इसकी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं। इस कार्रवाई के बाद शिकायत का विवरण भारत सरकार के इस पोर्टल पर आवश्यक रूप से दर्ज करें। प्रदेश में जुलाई-अगस्त माह में बड़ी संख्या में गुमशुदा मोबाइल को ट्रेस करने की सफलता के बाद इस प्रक्रिया को आगे भी निरंतर जारी रखा जाएगा।
महानिदेशक पुलिस (डीजीपी) साइबर अपराध एवं एससीआरबी हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि प्रदेश में बढ़ रहे साइबर क्राइम को चैलेंज के रूप में लेते हुए राजस्थान पुलिस ने मेवात क्षेत्र में “ऑपरेशन एंटीवायरस” के तहत साइबर क्रिमिनल्स की डेटाबेस के आधार पर पहचान कर उनके विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि इसके परिणाम स्वरुप मेवात क्षेत्र में साइबर क्राइम में भारी कमी दर्ज की गई है। आज से करीब 5-6 महीने देश के साइबर क्राइम का 18 प्रतिशत मेवात क्षेत्र में हो रहा था वह अब घटकर मात्र 5 प्रतिशत तक रह गया हैं।
डीजीपी (साइबर अपराध) मेवात क्षेत्र में आपरेशन एंटी वायरस में प्रभावी कार्रवाई करते हुए ना सिर्फ अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है, वरन उनके विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इस वजह से अधिकांश आरोपियों की न्यायालय से जमानत नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त पुलिस ने 2.36 लाख के आसपास सन्दिग्ध सिम एवं करीब 2.29 लाख सन्दिग्ध आईएमईआई वाले मोबाइल हैंडसेट की पहचान कर भारत सरकार के डिपार्मेंट आफ कम्यूनिकेशन से संपर्क कर ब्लॉक करवाया गया है, जिसके कारण साइबर क्राइम के अपराध में कमी आई है।