मंदिर संभालने वाले रवि जैन ने बताया कि शहर के बीचों बीच स्थित होने के बाद भी सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं। मंदिर में किसी और जगह से आने की जगह नहीं है। चोर मुख्य दरवाजे से आए। उन्होनें कुंदी या ताला नहीं तोड़ा, पेचकस की मदद से उसे उखाड़ ही दिया। सवेरे जब हम पूजा करने आए तो पेचकस ही मौके पर मिला। मंदिर में अंदर देखा तो सात से आठ छोड़े बड़े ताले तोड़कर कई मूर्तियां निकाल ली गई। इनमें अष्टधातु, पीतल और अन्य वस्तुओं से बनी बेशकीमती मूर्तियां और चंवर थे। चांदी का सिंहासन भी चोर ले गए। सालों से हर रोज मंदिर में सेवा कर रहे हैं। कभी किसी ने भी नहीं सोचा था कि इतनी भीड़ भाड़ वाली जगह पर भी चोर मंदिर को निशाना बना लेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले भी दो से तीन महीने के दौरान शहर में तीन अन्य जैन मंदिरों में चोरों ने वारदातें की हैं।