कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने विधायकों के पुराने आवास तोड़कर लग्जरी फ्लैट बनाने का निर्णय किया था।
राजस्थान विधानसभा के सामने विधायकों के लिए 160 फ्लैट बनाए गए। इसका मकसद था कि सभी विधायक एक ही जगह रहे, क्योंकि पहले जो विधायक आवास थे। वे राजधानी में अलग-अलग जगह बने हुए थे और काफी पुराने हो चुके थे। पिछली सरकार ने नए फ्लैट्स का उद्घाटन भी कर दिया।
नई सरकार आने के बाद इन आवासों के लिए आवेदन आए। करीब 120 विधायकों ने इन फ्लैट्स में रहना शुरू कर दिया है और एक-दो विधायक गांधीनगर स्थित सरकारी आवासों में रह रहे हैं। सीएम, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्रियों को 25 बंगले सिविल लाइंस और गांधीनगर में अलॉट हो चुके हैं। करीब पचास विधायकों ने अभी भी सरकारी आवासों के लिए आवेदन नहीं किया है। विधायकों के लिए जो फ्लैट्स बनाए गए है, उनमें से करीब 35 फ्लैट्स खाली पड़े हैं।
फ्लैट्स बने तो किराया कम करने का प्रस्ताव भेजा
नई सरकार बनने से पहले विधायक आवास बनकर तैयार हो गए। इस पर विधानसभा ने राज्य सरकार को विधायकों दिए जाने वाला किराया भत्ता पचास हजार रुपए से तीस हजार रुपए प्रतिमाह करने का प्रस्ताव भेजा है। सरकार को अब इस पर निर्णय लेना है।
विधायक आवास टूटे तो सरकार ने बढ़ा दिया किराया
पिछली सरकार में विधायकों के आवास टूटे तो यह बात रखी गई कि तीस हजार रुपए माह के किराए में आवास मिलना संभव नहीं है। कुछ विधायकों ने सरकारी आवास खाली ही नहीं किए। इस पर निर्णय हुआ कि सभी विधायकों को हाउसिंग बोर्ड के फ्लैट्स रियायती दर पर दिए जाएंगे। सभी को रियायती दर पर फ्लैट्स दिए गए और किराया भत्ता भी तीस हजार रुपए से बढ़ाकर पचास हजार रुपए किया गया। इसके बाद पुराने विधायक आवास खाली हो सके थे।