पिछले साल अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश में जिलों की संख्या 33 से बढ़ाकर 50 और संभाग 7 से बढ़ाकर 10 कर दी थी। इनका गठन भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी रामलुभाया की सिफारिश पर किया गया था। भजनलाल सरकार ने इन जिलों व संभागों की समीक्षा के लिए उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के नेतृत्व में मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया है।
इस उपसमिति के सहयोग के लिए एक जुलाई को पूर्व आईएएस पंवार के नेतृत्व में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ कमेटी बनाई गई थी, जिसमें वित्त, ग्रामीण विकास-पंचायती राज और गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सदस्य और प्रमुख राजस्व सचिव को सदस्य सचिव बनाया गया था।
पंवार कमेटी ने इन पहलुओं पर किया विचार
पंवार कमेटी ने नए जिलों व संभागों के क्षेत्राधिकार, संचालन, प्रशासनिक आवश्यकता एवं वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता से जुड़े पहलुओं पर विचार किया है।
इन नए जिलों का आकार छोटा
दूदू, खैरथल तिजारा, केकड़ी, सलूम्बर, सांचोर, शाहपुरा जिला। इनके अलावा आकार के हिसाब से बांसवाड़ा को संभाग बनाने पर भी सवाल उठा।
जयपुर-जोधपुर के विभाजन पर भी सवाल
जयपुर और जोधपुर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को अलग-अलग जिलों में बांटने को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया था।
ये नहीं बन पाए जिले
मालपुरा, सुजानगढ़ व कुचामनसिटी को 6 अक्टूबर 23 को जिला बनाने की घोषणा की गई। इसके बाद 7 अक्टूबर को सर्कुलेशन के माध्यम से इनके गठन को कैबिनेट ने मंजूरी दी, लेकिन इनके जिला बनने की अधिसूचना जारी नहीं हो पाई थी। इस कारण ये ये जिले नहीं बन पाए थे। इनके अलावा विराटनगर व सांभर आदि के जिला नहीं बनने पर भी सवाल उठा।