पिछले साल गहलोत सरकार ने
जयपुर और जोधपुर जिले के विभाजन सहित
19 जिलों का गठन किया था, जिससे प्रदेश में जिलों की संख्या 50 हो गई थी। नए जिलों का गठन भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी रामलुभाया की सिफारिश पर किया गया था।
प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद नए जिलों की समीक्षा के लिए डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के नेतृत्व में कैबिनेट सब कमेटी गठित की गई। जिसकी मदद के लिए एक जुलाई को पूर्व आईएएस पंवार के नेतृत्व में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ कमेटी बनाई गई। कमेटी अध्यक्ष ललित के पंवार ने हर नए जिले में जाकर रिव्यू किया और 31 अगस्त को रिपोर्ट सौंपी। जिस पर मंथन के लिए आज सब कमेटी की बैठक होगी।
मीटिंग में पंवार की रिपोर्ट पर होगा मंथन
डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में होने वाली मीटिंग में पंवार की रिपोर्ट पर मंथन किया जाएगा। इस दौरान खुद ललित के पंवार प्रजेंटशन देंगे। नए जिलों में कितने जिले यथावत रखने हैं, कितने जिलों में सीमांकन बदलेगा या जिलों को मर्ज किया जाएगा, इन बिंदुओं पर मंथन किया जाएगा। बैठक में मंथन के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा नए जिलों पर अंतिम फैसला करेंगे।
इन जिलों पर होगा फैसला!
कुछ नए जिलों का आकार छोटा है। ऐसे में नजदीकी जिले के अन्य हिस्सों को जोड़कर मर्जर किया जा सकता है। छोटे जिलों में दूदू, खैरथल तिजारा, केकड़ी, सलूम्बर, सांचौर और शाहपुरा का नाम शामिल है। इसके अलावा डीग, गंगापुर सिटी, कोटपूतली-बहरोड़, नीमकाथाना, अनूपगढ़ और फलोदी को लेकर भी निर्णय लिया जा सकता है। वहीं, जयपुर और जोधपुर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को अलग-अलग जिलों में बांटने पर भी विवाद है। जिस पर भी बड़ा फैसला लिया जा सकता है।