इससे पहचान पर बना संकट
विधानसभा चुनाव 2023 के लिए चुनाव आयोग ने नए जिलों में स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने का तर्क देकर नए जिलों को अलग से निर्वाचन जिले बनाने से इनकार कर दिया। अब लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग इन जिलों को अलग पहचान नहीं दे रहा है। हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता खत्म होने के तत्काल बाद ही नए जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी घोषित कर दिए।
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नई सरकार ने नए जिलों में भर्ती प्रक्रिया नहीं शुरू की
उधर, सरकार ने भी नए जिलों में पदों को भरने के लिए कोई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की है। नए जिलों व संभागों के मुख्यालय भवनों के निर्माण के लिए कोई डेडलाइन भी तय नहीं है।
यह बोले रामलुभाया
नए जिलों व संभागों के लिए रूपरेखा तैयार करने वाले पूर्व आईएएस रामलुभाया ने कहा कि नए जिलों व संभागों को अलग से स्वरूप लेने में तो पांच साल तक लगेंगे, लेकिन स्टाफ की व्यवस्था सबसे पहले हो और अन्य कार्यों के लिए समयसीमा तय हो।
आईएएस रामलुभाया ने सवालों का बेबाक दिया जवाब सवाल – नए जिलों में काम की रफ्तार बढ़ाने को क्या किया जाए? जवाब – नए जिलों की अलग से पहचान बनने में पांच साल लग जाते हैंए पहले भी जिलों को स्वरूप लेने में समय लगा था।
सवाल – नए जिलों के लिए क्या प्राथमिकता रहनी चाहिए?
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