यही वजह है कि टिकट वितरण को लेकर भी पार्टी की फजीहत हुई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पुत्र वैभव की जालोर लोकसभा सीट पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट प्रदेश में दौरे कर रहे हैं, लेकिन उनका फोकस सर्मथक नेताओं की सीटों पर ज्यादा है। छत्तीसगढ़ का भी प्रभार उनके पास है। जितेन्द्र सिंह भी अलवर के अलावा कहीं नजर नहीं आ रहे।
संगठन स्तर पर निर्णय प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ही लेते दिख रहे हैं। संगठनात्मक कमजोरी से जयपुर, राजसमंद और बांसवाड़ा सीट पर पार्टी को फजीहत का भी सामना करना पड़ा। बांसवाड़ा सीट पर जो सबसे ज्यादा पार्टी की किरकिरी हुई है। टिकट वितरण के बाद कांग्रेस के तमाम बड़े असंतुष्ट नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में चले गए। लेकिन इन्हें रोकने के प्रयास नहीं हुए।
वे सबसे चर्चित सीट बाड़मेर पर डेमेज कन्ट्रोल करने के लिए पिछले तीन दिन तक बाड़मेर-जैसलमेर में डेरा डाले रहे। विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक बैठकों में हिस्सा लेकर डेमेज कन्ट्रोल करने की कोशिश की।
भाजपा के लिए प्रदेश में डैमेज कन्ट्रोल करना इस बार टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। दिग्गज नेता कुछ लोकसभा क्षेत्रों में सीमित हो गए हैं। इसके कारण डैमेज कन्ट्रोल की जिम्मेदारी अकेले सीएम भजनलाल शर्मा पर ही आ पड़ी है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे पुत्र दुष्यंतसिंह की सीट झालावाड़ से बाहर नहीं निकल पा रही है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी खुद अपनी सीट चितौड़गढ़ बचाने के प्रयास में हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ पर चूरू सीट की जिम्मेदारी है और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया हरियाणा चुनाव प्रभारी जिम्मा संभाल रहे हैं। ऐसे में डैमेज कन्ट्रोल की पूरी जिम्मेदारी सीएम भजनलाल शर्मा पर है।
राज्य की सत्ता से बाहर होने के बाद प्रदेश कांग्रेस में लोकसभा चुनाव में डैमेज कन्ट्रोल को लेकर वरिष्ठ नेता एक जाजम पर नजर नहीं आ रहे है। चुनाव प्रबंधन को लेकर सामूहिक रूप से रणनीति बनाते हुए भी नहीं दिख रहे।
यही वजह है कि टिकट वितरण को लेकर भी पार्टी की फजीहत हुई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पुत्र वैभव की जालोर लोकसभा सीट पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट प्रदेश में दौरे कर रहे हैं, लेकिन उनका फोकस सर्मथक नेताओं की सीटों पर ज्यादा है। छत्तीसगढ़ का भी प्रभार उनके पास है। जितेन्द्र सिंह भी अलवर के अलावा कहीं नजर नहीं आ रहे।