सरोवर से लेकर गुलाब की पैदावार तक यही वो मुद्दे हैं, जो इस बार पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में प्रभावी होंगे। पुष्कर के भीतर सरोवर की स्वच्छता, शहर में साफ-सफाई और विकास बड़ा मुद्दा है। वहीं ग्रामीण अंचल में फूलों की घटती पैदावार ने किसानों की चिंता बढ़ा रखी है। पुष्कर,गोविंदगढ़,मोतीसर,तिलोरा,देवनगर समेत 35-40 किलोमीटर के दायरे में गुलाब के बाग-बगीचे फैले हुए हैं।
पुष्कर से नागौर के रास्ते में बुजुर्ग नाथी देवी मिली। नाथी को रोज कंटीले झाडिय़ों के बीच से 400 से 500 किलो फूल चुनने हैं, क्योंकि ठेकेदार किलो के हिसाब से पैसे देगा। नाथी का कहना था कि जो मजदूरी बढाएगा,उसे ही वोट देंगे। ठेकेदार भंवरलाल का अनुभव भी कुछ ऐसा ही है, कहते हैं कि अभी पुष्कर का ‘पिंक रोज’ ५० रुपए प्रति किलो बिक रहा है। दो सौ किलो फूल चुनकर लाएंगे तब जाकर दस हजार रुपए मिलेंगे। आधे जमीन वाले को देने हैं और बाकी बचे पांच हजार में से मजदूरों की मजदूरी चुकानी है। खर्चा काट कर एक हजार रुपए हाथ में आएंगे।
अजमेर संभाग में गुलाब फूल संघ के अध्यक्ष हनुमान प्रसाद ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री भैंरोसिंह शेखावत ने फूल किसान और व्यापारियों पर टैक्स न लगाकर राहत दी थी। अब गुलाब जल पर 12 फीसदी टैक्स लगता है और शक्कर पर पांच फीसदी टैक्स लगने के बाद गुलकंद का कारोबार आधा हो गया है। अभी उत्तरप्रदेश की कन्नौज मंडी में पुष्कर के फूलों से बना इत्र और अन्य उत्पाद जाते हैं। वहां से मुंबई और खाड़ी देशों तक में पुष्कर का नाम चलता है।
पिंक रोज़ की रूह (गुलाब के फूलों का तेल) आठ से दस लाख रुपए किलो बिकता है। यहां तक की गुलाब पेटल्स (सूखी पंखुडिय़ां) भी पांच सौ रुपए किलो के भाव में बिकते हैं। सरकार चाहे तो किसान और व्यापारियों को साथ लेकर खुद अपना प्रोडक्ट अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच सकती है। नेताओं चाहिए कि पुष्कर फ्लॉवर इण्डस्ट्री खड़ा करने का वादा करें। खेतों तक नहरी पानी पहुंचाए। ऐसा हुआ तो किसान और व्यापारियों को अच्छा फायदा होगा।
पीढिय़ों से पुष्कर में रह रहे राजेश करीठ कहते हैं कि पिछले दशक में बरसात कम होने से पैदावार घट रही है। विश्व विख्यात तीर्थराज में होटल्स और रिसोर्ट बन गए हैं। भू-जल दोहन बढ़ रहा है। सीधा असर फूल उत्पादन पर पड़ा है। यहां के निवासी फिरोज कहते हैं कि पहले पुष्कर में ही खाने वाला गुलाब ‘पिंक रोज’ पैदा होता था। अब पांच किलोमीटर के दायरे में अच्छे फूल आपको नहीं मिलेंगे। नेता यहां फूलों की माला पहनते हैं लेकिन यहां के किसान और व्यापारियों की राह में आए परेशानियों के कांटे सरकारें हटा नहीं पाई हैं।
असअद बदायूवीं ने खूब लिखा है
फूलों की ताजग़ी ही नहीं देखने की चीज़,
काँटों की सम्त भी तो निगाहें उठा के देख…
(कतार) राजनीतिक दलों से ये हैं मांग
फूल उत्पादों से जीएसटी हटाए या कम करें
मंडी टैक्स को कम करे या हटाएं
पुष्कर क्षेत्र में नहरी पानी का इंतजाम करें
पुष्कर गुलाब की अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रांडिंग हो।
फूल आधारित लघु उद्योग के लिए अलग से सब्सिडी, बैंक लोन सुविधा मुहैया करवाए
इनका कहना है
अगर सरकार अगर टैक्स नहीं लगाती और पानी का इंतजाम करती तो पुष्कर का फूल कारोबार प्रगति करता। लेकिन इस ओर न सरकार का ध्यान है और न ही विधायक ने आवाज उठाई है।
संजय पाराशर,स्थानीय नेता,कांग्रेस
फूलों का कारोबार को बढ़ाने के लिए सरकार साथ खड़ी रही है। जीएसटी तो सब पर लागू हुआ है। दो-तीन साल बारिश नहीं होने से स्थिति ऐसी हुई है। हमनें पुष्कर वैली प्रोजेक्ट की शुरूआत की है।
पुष्कर नारायण भाटी, स्थानीय नेता, भाजपा