New Trend : अपने गर्भ में पल रहे शिशु को महिलाएं लिख रहीं खत, जानें क्यों
Jaipur New Trend : जयपुर में एक नया ट्रेंड चल गया है। गर्भवती महिलाएं गर्भ में पल रहे शिशु को खत लिख रहीं हैं। जिससे की गर्भ में पल रहे शिशे को ‘हैप्पी वाइब्स’ मिलें। जी, जयपुर में गर्भवती महिलाओं में ‘प्री-नेटल क्लासेज’ का रुझान बढ़ रहा है। जानें क्या है माजरा।
Jaipur New Trend : अपने शिशु को अच्छे संस्कार मिले। इसके लिए महिलाएं उनके जन्म से पहले ही खत लिख रही हैं। गर्भ में पल रहे शिशु को वह खत पढ़कर भी सुना रही हैं। इससे बच्चे तक ‘हैप्पी वाइब्स’ पहुंचाती है। खासबात यह है कि कुछ महिलाओं के पति भी इन गतिविधियों का हिस्सा बन रहे हैं। इससे शिशु माता-पिता का रिश्ता भी काफी मजबूत होता है। यही कारण है कि शहर में इनदिनों ‘प्री-नेटल क्लासेज’ का चलन बढ़ने लगा है। यह क्लासेज खासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए आयोजित की जाती है। जहां महिलाओं को गर्भ संस्कार से लेकर शिशु के पालन-पोषण तक सभी चीजें सिखाई जा रही है। साथ ही पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन से कैसे सामना करना चाहिए, यह भी उन्हें बताया जा रहा है। कई बार शिशु के जन्म के बाद महिलाओं को पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन की समस्या होने लगती है। इन क्लासेज के माध्यम से वे अपनी डिप्रेशन की समस्या को खत्म कर रही है। वहीं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए महिलाओं को कई रोचक गतिविधियां भी करवाई जा रही हैं।
सोडाला निवासी भार्गवी मेहता ने बताया कि उन्होंने अपने पांचवें महीने से प्री-नेटल क्लासेज लेना शुरू कर दिया। यह उनका एक रूटीन बन गया है। इससे गर्भावस्था के दौरान आने वाले कई उतार-चढ़ाव की चिंता दूर हो रही है। कई नई चीजें सीखने का मौका मिल रहा है। वे कहती हैं कि रोजाना व्यायाम करने के साथ गर्भ संस्कार जैसी गतिविधियों में हिस्सा ले रही हूं। इससे मन को शांति मिल रही हैं और शिशु को भी अच्छी चीजें सीखा रही हूं।
जयपुर के जवाहर नगर स्थित प्री-नेटल क्लासेज की फाउंडर डॉ. स्मिता दशोरा ने बताया कि बच्चा गर्भ में जो सुनता है, अनुभव करता है। उसका असर उसके व्यवहार, चरित्र व बर्ताव पर भी पड़ता है। इसलिए शिशु जब गर्भ में होता है तो माता-पिता को बच्चे के लिए एक सकारात्मक वातावरण बनाना चाहिए। वे कहती हैं कि क्लासेज में हम महिलाओं को शिशु के बेहतर विकास के लिए कलरिंग, गायन, मंत्र-पाठ का उच्चारण, प्रार्थना करवा रहे हैं। उन्हें नियमित तौर पर योग, ध्यान भी करवाया जाता है। इसके अलावा महिलाओं को कई फन-एक्टिविटीज भी करवाई जा रही है, ताकि शिशु के ब्रेन-डेवलपमेंट पर सकारात्मक प्रभाव पड़े। महिलाओं के साथ-साथ शिशु के पिता भी इन गतिविधियों का हिस्सा बन रहे है। माता-पिता को कई कपल एक्टिविटीज भी करवाई जाती है। महिलाओं को शिशु के जन्म से लेकर प्रेग्नेंसी के हर उतार-चढ़ाव के बारे में भी सिखाया जाता हैं।
पहला है गर्भ संस्कार
हमारे धर्मशास्त्रों में पहला गर्भ संस्कार है। गर्भ संस्कार प्राचीन प्रथाओं से जुड़ा हुआ है। यह मां के कल्याण और बच्चे के स्वस्थ विकास पर केंद्रित है, लेकिन इससे भी अधिक, गर्भसंस्कार माता और बच्चे के बीच एक चिरस्थाई बंधन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है। गर्भ संस्कार गर्भधारण से पहले ही शुरू हो जाता है, जिसमें माता-पिता दोनों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करने के महत्व पर जोर दिया जाता है।