Behavior Disorders : प्रेगनेंसी में डिजिटल डिवाइस का दीवानापन है खतरनाक, बदल रहा है होने वाले बच्चों का व्यवहार
Behavior Disorders : गर्भवती महिलाएं डिजिटल डिवाइस का प्रयोग करने से बचें। नहीं तो आने वाले बच्चों में बिहेवियर डिसऑर्डर के मामले सामने आ रहे हैं। सावधान हो जाएं।
Behavior Disorders : आज के डिजिटल दौर में गर्भवती महिलाएं अक्सर स्मार्टफोन्स, टैबलेट्स और अन्य डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन इनका जरूरत से ज्यादा प्रयोग आने वाले बच्चे पर असर डाल सकता है। देखने में आ रहा है कि प्रेगनेंसी के दौरान इन डिवाइस के अधिक उपयोग से आने वाले बच्चों में बिहेवियर डिसऑर्डर के मामले सामने आ रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो इसी कारण पांच साल तक के बच्चों में विभिन्न प्रकार के व्यवहार संबंधी विकार उत्पन्न हो रहे हैं। इनमें डिस्लेक्सिया (पढ़ने में कठिनाई), डिसग्राफिया (लिखने में कठिनाई), ऑडिटरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (सुनी हुई बातों को समझने में कठिनाई) और नॉन वर्बल लर्निंग डिसएबिलिटीज शामिल हैं। यह विकार न केवल बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित करते हैं, बल्कि उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
चिकित्सकों की मानें तो ऐसे बच्चों में गणित के सवाल-जवाब न करना, कक्षा में ध्यान न देना, दूसरे बच्चों के साथ ताल-मेल न बिठाना, लिखने में समझने में दिक्कत होना शुरूआती लक्षणों में शामिल हैं।
छोटी क्लास के बच्चों में मिलती हैं ये समस्याएं
शिक्षिका दीक्षा कोठारी ने बताया कि छोटी क्लास के बच्चों में ऐसी समस्या देखी जा सकती है। डिस्लेक्सिया, डिसग्राफिया जैसी समस्याओं से ग्रसित बच्चे शब्दों को भी जल्दी नहीं समझ पाते हैं। चीजों को पहचानने में भी उन्हें दिक्कत होती हैं।
दीक्षा कोठारी ने आगे बताती हैं कि पढ़ते समय वे शब्द पढ़ने में भी कंफ्यूज हो जाते हैं। वहीं कई बच्चों में लैंग्वेज प्रोसेसिंग डिसऑर्डर की समस्या भी पाई जा रही हैं। इसमें बच्चे ग्रुप साउंड्स,वाक्यों का उच्चारण सही तरह से नहीं कर पा रहे हैं। एक जैसे दिखने वाले-शब्दों में अंतर नहीं कर पाते हैं। पेंसिल्स, कलर्स, बैग और भी कई तरह के स्टेशनरी आइटम्स को संभालने में भी उन्हें दिक्कत होती हैं।