न्यायाधीश अशोक कुमार जैन ने भरपाई व अन्य की 21 साल से विचाराधीन अपील पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मई 2015 में जयपुर में फ्लाई ओवर एवं सड़कों को चौड़ा करने, चौराहों-तिराहों के विकास, चारदीवारी क्षेत्र में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार व पार्किंग पर पाबंदी, सड़कों से यातायात में बाधा अतिक्रमण, पेड, ट्रांसफार्मर व डेयरी बूथ् हटाने, जेब्रा क्रॉसिंग, स्टाॅप लाइन, ट्रैफिक लाइटों में सुधार, पैदल व साइकिल मार्गों के विकास, फ्लाई ओवर की आवश्यकता वाले व बोटल नेक वाले स्थान चिन्हित करने, दुर्घटना की रिपोर्ट दर्ज होते ही बीमा कंपनी को सूचित करने, ओवरलोडिंग व प्रदूषण रोकने के उपाय जैसे 25 बिन्दुओं को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश दिए गए।
कोर्ट ने इन निर्देशों की ओर सरकार का ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस मामले में कोर्ट के निर्देश पर मई 2015 से इस साल मार्च तक महाधिवक्ता हाजिर हुए, फिर इस साल दो बार अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत व्यास आए और अब तो कोई आया ही नहीं। कोर्ट ने इस स्थिति का हवाला देकर कहा कि कोर्ट के 8 साल पुराने निर्देशों की पालना नहीं हो रही, जो गंभीर है।
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इस मामले पर सुनवाई के दौरान 8 साल पहले बीमा कंपनी की ओर से कहा गया था कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में दुर्घटना में नुकसान पर क्षतिपूर्ति का पूरा भार बीमा कंपनी पर नहीं डाला जाना चाहिए, राज्य सरकार को भी वहन करना चाहिए।
यहां बढ़ रही दुर्घटनाएं
2015 में सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने आया कि
जयपुर में अजमेर रोड़, सीकर रोड़, टोंक रोड, आगरा रोड, न्यू सांगानेर रोड, बी-टू-बाईपास, मालवीय नगर, सी-स्कीम, विद्याधर नगर क्षेत्र, चारदीवारी क्षेत्र में वाहन दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस पर तत्कालीन महाधिवक्ता एन एम लोढ़ा ने अंतरविभागीय कमेटी का गठन कर समाधान सुझाने का भरोसा दिलाया था।