वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार शर्मा ने अदालत को बताया कि राजस्थान सरकार ने 15 मार्च,2018 को अधिसूचना जारी कर राज्य में बजरी की 31 छोटी खानों की नीलामी करने का फैसला किया है। राज्य में 82 बजरी खान के एलआेआई होल्डर को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी से बिना पर्यावरणीय मंजूरी के खनन की अनुमति मिली हुई थी। लेकिन लंबे समय तक मंजूरी नहीं मिलने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने ही 16 नवंबर,2017 को राज्य में बजरी खनन पर रोक लगा दी है।
यह मामला आज भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और खनन पर रोक भी जारी है। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बावजूद सरकार ने 31 छोटी बजरी खान की नीलामी की अधिसूचना जारी कर दी है। प्रार्थी भी एलओआई होल्डर है और सरकार ने उसकी खान के हिस्से में से कुछ हिस्सा लेकर छोटी खान के तौर पर नीलामी को चिन्हित कर लिया है जो कि लीज शर्तों के विपरीत है।
अदालत ने मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के और खनन पर रोक लगी होने के बावजूद खान नीलामी की अधिसूचना जारी करने को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना है। अदालत ने प्रमुख खान सचिव और निदेशक खान के खिलाफ स्व:प्रेरणा से अवमानना प्रसंज्ञान लेकर अलग से मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दो अप्रेल तक टली सुनवाई-
उधर, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में बजरी खान की पर्यावरण स्वीकृति के मामले में सुनवाई दो अप्रेल तक टल गई है। मामले में वन और पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले दिनों 19 खानों की स्वीकृति की रिपोर्ट पेश की थी और बताया था कि इन खान से संबंधित पर्यावरण अध्ययन करवा लिया गया है। लेकिन इसकी प्रति पक्षकारों और न्यायाधीशों को नहीं मिलने के कारण मामले में सुनवाई दो अप्रेल तक टल गई है।