अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि कठूमर के हनीपुर गांव निवासी राहुल पुत्र विश्म्भर को पोक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं में अक्टूबर, 2020 में गिरफ्तार किया गया था। वह 30 अक्टूबर, 2020 से जेल में बंद है। मामले की सुनवाई के बाद अलवर की पोक्सो मामलों की विशेष अदालत ने उसे 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा इसी वर्ष 13 जून को सुनाई। अब तक आरोपी करीब दो साल की सजा काट चुका है और उसने किसी भी पैरोल का उपभोग नहीं किया है। साथ ही बंदी का जेल में चाल—चलन भी संतोषप्रद रहा है। साथ ही मुल्जिम की उम्र केवल 22 वर्ष है और पत्नी की उम्र भी कम है। ऐसे में सामाजिक प्रतिष्ठा, वंश वृद्धि के लिए उसे पैरोल दी जाए।
पत्नी की ओर से दी गई यह दलीलें अदालत में पत्नी की ओर से दलीलें देते हुए अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने बताया कि प्रार्थिया की शादी मुल्जिम राहुल से हुई थी। उसके बाद वह केस के कारण जेल चला गया। लेकिन प्रार्थिया के कोई संतान नहीं हुई। प्रार्थिया शादी से खुश है और बच्चा चाहती है। इसलिए संतान उत्पत्ति के लिए पति को पैरोल पर रिहा किया जाए। अदालत को बताया कि वंश के संरक्षण के उद्देश्य से संतान होने की धार्मिक दर्शन, भारतीय संस्कृति और विभिन्न न्यायिक घोषणाओं के माध्यम से मान्यता दी गई है। साथ ही कहा कि हिंदू धर्म में गर्भधान प्राप्त करना 16 संस्कारों में माना जाता है।
कोर्ट ने यह दिया आदेश खंडपीठ ने आदेश में अलवर सेंट्रल जेल के अधीक्षक को कैदी राहुल को पैरोल पर रिहा करने का आदेश जेल नियमों के अनुसार देने के लिए कहा है। साथ ही मुल्जिम से दो लाख रूपए का पर्सनल बॉण्ड और एक—एक लाख रूपए के दो सिक्योरिटी बॉण्ड लेने के निर्देश दिए है। अधीक्षक को यह भी छूट दी गई है कि वह ऐसी शर्तें लगा सकते हैं, जिससे मुल्जिम पैरोल के बाद फिर से जेल में हिरासत में हाजिर हो। पैरोल शुरू होने की अवधि मुल्जिम के रिहा होने के वास्तविक दिन से शुरू मानी जाएगी।