कोर्ट ने स्थिति को गंभीरता सेे लेते हुए केन्द्रीय गृह सचिव व मुख्य सचिव से इन अपराधों को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट का कानून में कोई प्रावधान नहीं है, यह एक तरह का स्कैम है।
देश में डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इनमें लाखों लोग फंस चुके हैं और हजारों निर्दोष लोगों को अपनी कमाई गंवानी पड़ी, कई लोगों ने जान भी गंवाई। इन अपराधों के कारण हर क्षेत्र के लोग प्रभावित हो रहे हैं और इनसे आमजन को बचाने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है। न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने बुधवार को इस मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया।
आरबीआई भी प्रयास करे
कोर्ट ने कहा कि आरबीआई के स्तर पर भी प्रयासों की जरूरत है ताकि अपराधी पैसे की निकासी नहीं कर सकें। आरबीआई व सरकार शिकायत निवारण समिति को पोर्टल या वेबसाइट या मोबाइल नंबर पर प्राप्त होने वाली शिकायतों में पैसे की निकासी रोकने के लिए एक ऐसा सिस्टम डवलप करे, जिससे निर्दोष लोगों के पैसे को बचाया जा सके। इनसे सहयोग करने को कहा
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी, महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद व अधिवक्ता अनुराग कलावटिया।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम है: कोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि कुछ सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा डेटा बेचा जाता है, जिसका साइबर अपराधी दुरुपयोग करते हैं। सरकार प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया, टेलीविजन व एफएम रेडियो के माध्यम से लोगों को बताए कि वीडियो कॉल या ऑनलाइन मॉनिटरिंग के माध्यम से गिरफ्तारी का कानून में कोई प्रावधान नहीं है। यदि किसी के पास इस बारे में कोई कॉल आता है तो यह स्पष्ट तौर स्कैम है।