स्वायत्त शासन विभाग के इस आदेश के बाद निकायों में खलबली मची है। संभवतया पहली बार है जब इस तरह के आदेश जारी किए गए हैं। सरकार की इसके पीछे मंशा है कि निकाय पहले आय के स्रोत तैयार करें और फिर आगे बढ़ें। हालांकि, विभाग ने इस आदेश में निकायों को आय के स्रोत बढ़ाने के लिए राह नहीं सुझाई है। प्रदेश में अभी 213 निकायों में बोर्ड हैं और 90 फीसदी तंगहाली में हैं।
दिखावटी बजट में अटकी जिम्मेदारी…:
राज्य में ज्यादातर निकाय तंगहाली से जूझ रहे हैं। वाहवाही लूटने के लिए दिखावटी बजट बना रहे, क्योंकि उनके पास आय के संसाधन ही नहीं है। अनुमानित आय के मुकाबले 70 प्रतिशत तक पैसा तिजोरी में नहीं आ रहा। सरकार भी जरूरत से काफी कम सहायता कर रही है। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है।अपनी आय बढ़ाने के स्रोत करें तैयार
तिजोरी में पूरा भुगतान करने के लिए राशि नहीं होती, इसके बावजूद निकाय कार्यादेश जारी करते रहे हैं। इसके पीछे केन्द्र, राज्य सरकार से आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद रहती है। स्वायत्त शासन विभाग के अफसरों ने यह भी साफ कर दिया है कि आगे इस उम्मीद में किसी भी तरह के कार्यादेश जारी नहीं किए जाएं। निकायों को जो भी निर्धारित फंड दिया जा रहा है, उसका सदुपयोग करें। अपनी आय बढ़ाने के नए स्रोत तैयार करें।