किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार की ओर से राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के लिए उठाया गया कदम सरकार के गले की फांस बन गया है। किसानों के लिए परेशानी भरा होने के साथ आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रहा है। अब न तो किसानों को ऑनलाइन गिरदावरी नकल मिल रही है और न ही ऑफलाइन। किसानों को पुराना रिकॉर्ड मिलना तो दूर राजस्व कर्मचारियों के पास भी तीनों साल का रिकॉर्ड नहीं है, इसके बावजूद सेटलमेंट कार्यालय के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। ऑनलाइन जिंसवार गिरदावरी नकल जनरेट नहीं होने पर किसानों व पटवार संघ ने कलक्टर से शिकायत की। इस पर नागौर जिला कलक्टर डॉ. अमित यादव ने अक्टूबर माह में सेटलमेंट कार्यालय जयपुर के आयुक्त को पत्र लिखा। कलक्टर ने पत्र में बताया कि राज खसरा गिरदावरी ऐप में जिंसवार रिपोर्ट जनरेट होने की सुविधा अभी तक नहीं है। काश्तकारों के लिए गिरदावरी नकल अति आवश्यक होती है। इसके बावजूद अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है।
काश्तकार ने बताया अपना दर्दकाश्तकार बलाया मेहराम ने बताया, मैंने साढ़े 8 बीघा जमीन खरीदी थी। जमीन असिंचित किस्म की है, लेकिन गिरदावरी रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण पंजीयन शुल्क सिंचित किस्म के अनुसार वसूला गया, जो कि असिंचित से करीब दुगुना था। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है फिर भी अधिक पैसे जमा करवाकर पंजीयन करवाना पड़ा है।
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तीन साल का राजस्व रिकॉर्ड नहीं दे रही है कम्पनीराजस्थान पटवार संघ जिलाध्यक्ष, नागौर बुद्धाराम जाजड़ा ने कहा, ऐप से किसानों को गिरदावरी नकल नहीं मिल रही। इस संबंध में कलक्टर को ज्ञापन सौंपा था। व्यवस्था न होने पर भी हमने कलक्टर के कहने पर मूंग खरीद के लिए ऑफलाइन गिरदावारी जारी की। कम्पनी तीन साल का राजस्व रिकॉर्ड भी नहीं दे रही है।
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