कर्मचारियों और पेंशनर्स को ऐसे हालात का सामना तब करना पड़ रहा हैं, जबकि राज्य सरकार चिकित्सा सुविधा के नाम पर हर माह उनके वेतन से कटौती करती है। राज्य सरकार इसके बदले सरकारी और चिह्नित निजी अस्पतालों में कैशलेस आउटडोर और इनडोर इलाज की सुविधा मुहैया करवाती है। आरजीएचएस योजना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की और केन्द्र सरकार की सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) की तर्ज पर शुरू की गई थी।
उस समय सरकार और निजी अस्पतालों के बीच विवाद के कारण कई निजी अस्पतालों ने कैशलेस इलाज बंद कर दिया था। तब मरीजों को अस्पतालों में कहा गया कि उनके इलाज का पैसा राज्य सरकार से पुनर्भरण हो जाएगा। इसके बाद सरकार बदली और यह योजना राज्य सरकार की प्राथमिकता से दूर होती गई। अब हालात ऐसे हैं कि अपने इलाज के लाखों रुपए के पुनर्भरण के लिए कर्मचारी और पेंशनर्स गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रहीं।
एक अस्पताल ने मना किया, दूसरे ने दिखाई वेटिंग
जयपुर में कार्यरत एक सरकारी कर्मचारी और उनकी दस साल की पुत्री को डेंगू हुआ। आरजीएचएस) चयनित निजी अस्पताल में परामर्श के लिए पहुंचे। यहां इलाज के लिए यह कहकर इनकार कर दिया गया कि अभी सामान्य मरीजों की भीड़ है। इसलिए आज आरजीएचएस के मरीजों को नहीं देखा जाएगा। उन्होंने विरोध जताया, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। इसके बाद वे दूसरे निजी अस्पताल गए। वहां सामान्य मरीजों के लिए कई काउंटर थे, लेकिन आरजीएचएस काउंटर पर उन्हें 350वां टोकन नंबर दे दिया गया। थक हार कर वे वापस चले गए और दूसरी जगह पैसे देकर इलाज करवाया। कर्मचारी ने बताया कि दोनों जगह कैश पैसे देकर तत्काल इलाज के लिए काउंटर पर कर्मचारी तैयार थे। सवा लाख से ज्यादा का इलाज, नहीं मिला पुनर्भरण
जलदाय विभाग से सेवानिवृत्त पेंशनर विनोद जैन ने जयपुर के एक बड़े निजी अस्पताल में मजबूरी में पैसे देकर इलाज करवाया। राज्य सरकार और निजी अस्पतालों के बीच विवाद के कारण इस अस्पताल ने भी कैशलेस इलाज बंद किया हुआ था। इन्हें कहा गया कि उनका पैसा पुनर्भरण में मिल जाएगा। लेकिन उन्हें इसका पैसा आज तक नहीं मिला।
पत्रिका से करें साझा…..
यदि आपको भी आरजीएचएस योजना के तहत चिह्नित अस्पताल में कैशलेस इलाज नहीं मिला, भेदभाव के शिकार हुए हों, पूनर्भरण नहीं मिला या अन्य परेशान हुई हो तो अपनी समस्या लिखकर हमें इस नंबर पर भेजें- 8005894373