60 फीसदी से कम आ रही परीक्षाओं में उपस्थिति
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड सहित आरपीएससी की भर्ती परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की उपिस्थति औसत 60 फीसदी तक आ रही है। चयन बोर्ड की ओर से शनिवार को कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती परीक्षा में सुबह की शिफ्ट में 60 फीसदी और दोपहर की शिफ्ट मेंं 40 फीसदी से भी कम उपस्थिति रही। इसी प्रकार बोर्ड की महिला पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा में 50.13 फीसदी अभ्यर्थी उपिस्थत रहे। इसके अलावा बोर्ड छात्रावास अधीक्षक भर्ती परीक्षा में 60.64 फीसदी अभ्यर्थी पहुंचे। वहीं, आरपीएससी की ओर से आयोजित सहायक सांख्यिकी अधिकारी प्रतियोगी परीक्षा में महज 17.46 फीसदी उपस्थिति रही। एक अभ्यर्थी पर खर्च हो रहा औसत 600 रुपए
सरकार ने एक ओर जहां वन टाइम रजिस्ट्रेशन लागू कर रखा है। इससे सरकार को एक ही बार अभ्यर्थियों से शुल्क प्राप्त हो रहा है। दूसरी ओर भर्ती परीक्षाओं में गैरहाजिर रहकर अभ्यर्थी सरकार पर ही परीक्षाओं का खर्च बढा़ रहे है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की बात करें तो एक अभ्यर्थी पर औसत 600 रुपए खर्च किया जा रहा है। ऐसे में 40 फीसदी तक गैरहाजिरी रहने पर परीक्षाओं का खर्च बढ़ रहा है। परीक्षाओं से पेपर प्रिंट कराने से लेकर परिवहन, परीक्षा केन्द्र और शिक्षकों की ड्यूटी पर खर्चा किया जाता है। अभ्यर्थियों के नहीं आने से बोर्ड पर परीक्षा का अतिरिक्त खर्च बढ़ रहा है।
बोर्ड सचिव की पोस्ट के बाद विरोध
कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती परीक्षा में कम उपस्थिति होने के बाद राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड सचिव की ओर से सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई। जिसे बाद में हटाया दिया। इसमें बताया कि परीक्षार्थियों की ओर से फॉर्म भरकर परीक्षाओं में न बैठने से आमजन के पैसे और संसाधनों का अपव्यय होता है। इसीलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि अब आगे परीक्षा शुल्क लिया जाएगा। इसका बेरोजगारों की तरफ से विरोध भी किया जा रहा है।
तय होगा शुल्क
आवेदन करने के बाद भी अभ्यर्थी परीक्षा देने नहीं आ रहे हैं। सरकार ने आवेदन शुल्क नि:शुल्क कर रखा है। इसलिए अभ्यर्थी एक साथ कई भर्तियों में आवेदन कर देते हैं। इससे परीक्षाओं का खर्चा बढ़ रहा है। हमने एक प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है। परीक्षा शुल्क तय किया जाए।
अलोक राज, अध्यक्ष राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड
बेरोजगारों से धोखा
यह बेरोजगारों के साथ धोखा होगा। इसे किसी भी स्थिति में लागू नहीं होने देंगे। बोर्ड अधिकारियों से निवेदन है इस प्रस्ताव को वापस लिया जाए
हनुमान किसान, नेशनल फ्रीडम यूनियन राजस्थान