पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय इस योजना का नाम अन्नपूर्णा रसोई ही था, मगर गहलोत सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस योजना में आमूल—चूल परिवर्तन करते हुए इसका नाम इंदिरा रसोई योजना कर दिया था। कांग्रेस सरकार के समय योजना का विस्तार करते हुए रसोई की संख्या एक हजार तक कर दी गई। गौरतलब है कि गहलोत सरकार ने 2020 में 213 निकायों में 358 रसोई के साथ येाजना को शुरू किया था। अब योजना में रसोई की संख्या 1 हजार पहुंच गई है। कोरोना काल में करीब 72 लाख लोगों को योजना के तहत भोजन निशुल्क भोजन कराया गया था।
सरकार बदलते ही सुगबुगाहट हो गई थी शुरू
प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आते ही सुगबुगाहट थी कि योजना का नाम जल्द बदला जाएगा। इन रसोई के तहत अब तक पूरे प्रदेशभर में 19 करोड़ से ज्यादा लोगों को भोजन कराया जा चुका है। रोजाना 2.45 लाख लोगों को आठ रुपए में भोजन कराया जा रहा है। रसोई संचालकों को सरकार की ओर से प्रति थाली 17 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है।
अब ग्रामीण क्षेत्रों में रफ्तार पकड़ेगी योजना
गहलोत सरकार के आखिरी बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार इंदिरा रसोई खोलने का लक्ष्य रखा गया था। नोडल एजेंसी डीएलबी को बनाया गया। कुछ जगहों पर रसोई खोली गई तो कई जगहों पर स्थान चिन्हित किया गया। लेकिन सरकार बदलने के बाद फिलहाल काम अटका पड़ा है। मगर अब नाम बदलने से योजना को रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
पत्रिका ने सबसे पहले चलाई थी खबर
पत्रिका ने सबसे पहले इस खबर को चलाया था। जिसमें बताया गया था कि सरकार बदलने के साथ ही इंदिरा रसोई योजना का नाम बदलने की कवायद है। आज सीएम भजन लाल शर्मा ने रसोई का नाम श्रीअन्नपूर्णा रसोई रखने की घोषणा कर दी है।