Rajasthan By-Election: जयपुर। राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। करीब एक साल के अंतराल में राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर फिर से विधायक के चुनाव होने जा रहे हैं। प्रदेश की झुंझुनूं, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूम्बर और रामगढ़ विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को चुनाव होंगे और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे।
कांग्रेस, भाजपा, आरएलपी, बीएपी सहित अन्य दल उपचुनावों में जीत के लिए रणनीति बनाने में जुटे हुए है। चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आए तो सरकार के कामकाज पर मुहर लगेगी। यदि कांग्रेस के पक्ष में आए तो पार्टी नेता इसे सत्ता विरोधी लहर बताएंगे। वहीं, क्षेत्रीय दलों के लिए यह उपचुनाव परीक्षा की घड़ी है। सात विधानसभा क्षेत्रों के 1915 मतदान केन्द्रों पर 19 लाख 36 हजार 532 लोग मतदान करेंगे।
राजस्थान में जिन सीटों पर उपचुनाव होंगे, उनमें झुंझुनूं, खींवसर, देवली-उनियारा, रामगढ़ और दौसा जनरल के लिए आरक्षित है। वहीं, सलूंम्बर और चौरासी सीट एसटी के लिए आरक्षित है। राजस्थान की सात विधानसभा सीटों में से चार सीट हॉट सीट बनी हुई है। जिनमें दौसा, झुंझुनूं, खींवसर और चौरासी विधानसभा सीट का नाम शामिल है। इन हॉट सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। आइए जानते हैं ये सीटें क्यों बनी हॉट सीट?
ये चार सीट बनीं हॉट सीट
1. खींवसर: खींवसर विधानसभा सीट हनुमान बेनीवाल के नागौर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद रिक्त हुई थी। खींवसर सीट पर पिछले 16 साल में हुए 5 चुनावों में से चार में हनुमान बेनीवाल तथा एक में उनके भाई नारायण बेनीवाल जीते थे। ऐसे में यह सीट हॉट सीट बनी हुई है। पिछले पिछले चुनाव परिणामों की बात करें तो साल 2008 में हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 2013 में हनुमान बेनीवाल ने निर्दलीय विधायक चुने गए।
2018 में खुद की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा और जीते। 2019 में हनुमान बेनीवाल के सासंद बनने पर उपचुनाव में नारायण बेनीवाल ने जीत दर्ज की। 2023 में हनुमान बेनीवाल ने खुद की पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। लेकिन, 2024 में उनके सासंद बनने से इस सीट पर उपचुनाव हो रहे है।
2. दौसा: दौसा विधानसभा सीट मुरारी लाल मीणा के सांसद चुने जाने के बाद रिक्त हुई थी। इस सीट पर वो पिछले 2 चुनाव में लगातार जीतकर विधायक बने थे। आजादी के बाद से अब तक इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है। गुर्जर-मीणा बाहुल्य इस सीट पर किरोड़ी लाल मीणा और सचिन पायलट का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। ऐसे में इस बार इस सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई है।
पिछले 5 साल के चुनावी आंकड़ों की बात करें तो 2003 में भाजपा के नंदलाल बंशीवाल, 2008 में बसपा के मुरारीलाल मीणा, 2013 में भाजपा के शंकर शर्मा, 2018 व 2023 में कांग्रेस के मुरारीलाल मीणा विधायक बने। हालांकि, मुरारी मीणा के सांसद बनने से इस सीट पर उपचुनाव हो रहे है।
3. चौरासी: चौरासी विधानसभा सीट राजकुमार रोत के सांसद चुने जाने के बाद रिक्त हुई थी। आदिवासी बाहुल्य इस सीट को बाप पार्टी का गढ़ माना जाता है। वहीं, बीजेपी और कांग्रेस यहां सेंध लगाने की कोशिश में रहेगी। माना जा रहा है कि यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।
पिछले चुनावी आंकड़ों की बात करें तो 2013 में बीजेपी के सुशील कटारा ने जीत दर्ज की। 2018 में भारतीय ट्राइबल पार्टी के राजकुमार रोत इस सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। बाद में राजकुमार रोत ने भारत आदिवासी पार्टी बना ली और 2023 के चुनाव में फिर से जीतकर विधायक चुने गए। लेकिन, अब उनके सांसद बन जाने से इस सीट पर उपचुनाव हो रहे है।
4. झुंझुनूं: झुंझुनूं विधानसभा सीट बृजेंद्र ओला के सांसद चुने जाने के बाद रिक्त हुई थी। इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। 1952 से अब तक चुनावी आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस ने यहां से 13 बार जीत दर्ज की है। वहीं, बीजेपी दो बार ही जीत पाई है।
2003 में बीजेपी की सुमित्रा सिंह विधायक बनी। वहीं, 1996 के उपचुनाव में बीजेपी के डॉक्टर मूल सिंह जीते थे। कांग्रेस के बृजेन्द्र ओला 2008 से 2023 तक लगातार यहां से जीत विधायक चुने गए। लेकिन, उनके सांसद बनने से इस सीट पर उपचुनाव होने जा रहे है।
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