उन्होंने कहा कि अंतरिम बजट वित्त मंत्री दिया कुमारी ने जिस प्रकार सदन में पढ़ा, उससे यह लग रहा है कि यह बजट राजस्थान कैबिनेट के बजाय दिल्ली से सीधा भेजा गया है। बजट पूर्ववर्ती हमारी कांग्रेस सरकार पर मिथ्या आरोपों से भरा हुआ और भ्रम फैलाने वाला एवं दिशाहीन है। जो कि केवल चुनावी एजेंडा मात्र है। इसमें प्रदेश के सर्वांगीण विकास का कोई विजन नहीं दिखा। गांव, दलित, किसान, महिला, युवा, मध्यम वर्ग की उपेक्षा की गई है।
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विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि राजस्थान में हमारी सरकार बनने पर पेट्रोल-डीजल पर वैट कम कर हरियाणा के बराबर करने की बात कही थी, लेकिन यह जुमला ही साबित हुई है। ईआरसीपी पर झूठ बोला गया। बजट में कहा गया कि केंद्र सरकार पूरा सहयोग करने के लिए तैयार थी, जबकि सच्चाई यह है कि केंद्र ने इस परियोजना पर एक पैसा खर्च नहीं किया। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने अपने संसाधनों से इस योजना को आगे बढ़ाया। पृथक कृषि बजट को मोदी की गारंटी की तरह से गायब कर दिया। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की 10 फीसदी वृद्धि का कानून भी पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में बना था। जिसे बजट में इस तरह से पेश किया गया है कि जैसे इन्होंने बड़ी उपलब्धि अर्जित कर ली हो।
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अब ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई। आरपीएससी को भंग करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार के समय लगातार भाजपा ने आंदोलन किए, लेकिन अब आरपीएससी को भंग करने की कोई बात नहीं की गई।