पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अगस्त माह में ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर गंभीर मंथन चल रहा है। पार्टी नेता यह मंथन कर रहे हैं कि एक बार प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए। इसके बाद दिसम्बर में उसका चुनाव हो जाएगा। इससे पहले सतीश पूनिया, अशोक परनामी के मामले में भी यही हुआ था। इनको पहले प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसके बाद कुछ समय बाद उनका चुनाव हुआ था।
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मूल ओबीसी वर्ग पर ज्यादा फोकस
पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर मूल ओबीसी वर्ग के किसी नेता को नियुक्त करने पर ज्यादा गंभीर है। बताया जा रहा है कि राज्यसभा सांसद मदन राठौड़, राजेन्द्र गहलोत, पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी के नाम सियासी हलकों में सबसे ज्यादा चर्चा में है। प्रभुलाल सैनी उपचुनाव में देवली-उनियारा विधानसभा से टिकट भी मांग रहे हैं। यह भी पढ़ें
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पूर्व केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का नाम विस चुनाव के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए चला था और अब भी आरएसएस का एक धड़ा उनके पक्ष में ही है। वरिष्ठ नेताओं का एक धड़ा एससी वर्ग पर भी फोकस चाहता है। लोकसभा चुनावों में एससी आरक्षण को लेकर हुई बयानबाजी के बाद पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह एससी वर्ग के पक्ष में है और आरक्षण खत्म करने की बात झूठ ही उड़ाई गई। किसी एससी वर्ग की महिला या किसी महिला विधायक पद भी पार्टी दांव खेल सकती है।दिल्ली का एक धड़ा वर्तमान अध्यक्ष जोशी के पक्ष में भी
पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में विस चुनाव जीता गया, लेकिन लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके। हालांकि, दिल्ली में बड़े नेताओं का एक धड़ा चाहता है कि जोशी प्रदेश अध्यक्ष बने रहें। जोशी के पक्ष में नेताओं का मानना है कि उन्हें अभी संगठन में ज्यादा काम करने का मौका नहीं मिला है। प्रदेश अध्यक्ष बने अभी सवा साल ही हुआ है। उनके लिए बस एक ही पॉइंट नेगेटिव है और वो है प्रदेश के जातिगत समीकरण। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और सी पी जाेशी एक ही वर्ग से हैं।