इन 5 सीटों पर गौर करें
अब अगर गौर करें तो आंकड़ों के अनुसार जिन 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, उनमें झुंझुनूं और नागौर सीट जाट जाति प्रभाव है। वहीं दूसरी तरफ एसटी बाहुल्य सीटों में देवली-उनियारा, चौरासी और दौसा हैं। पर अगर भाजपा संगठन में एक नजर दौड़ाई जाए तो ढेर सारे पदों की जिम्मेदारी एक ही जाति के लोग निभा रहे हैं। जिसमें प्रदेशाध्यक्ष, उपाध्यक्ष से लेकर कार्यालय प्रभारी, मीडिया प्रभारी, सोशल मीडिया और आईटी हेड के पद हैं। यह भी पढ़ें – महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट पर नया अपडेट, राजस्थान सरकार खर्च करेगी 100 करोड़ इन तीनों जातियों को साधने की तैयारी
मौजूदा राजस्थान सरकार में जाट, मीणा और गुर्जर जाति के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली। जिसका असर लोकसभा चुनावों में साफ-साफ दिखा। जाट वर्ग की नाराजगी से शेखावाटी क्षेत्र में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं, पूर्वी राजस्थान में विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। पर लोकसभा चुनावों में भाजपा यहां अधिकतर सीटें हार गई। इस हार के पीछे मुख्य वजह मीणा और गुर्जर वर्ग की नाराजगी रही है।
हार का लोकल बॉडी इलेक्शन पर आएगा असर
मान लीजिए की भाजपा
उपचुनाव की 5 सीटें हार गई। तो भी भजनलाल सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है। पर आने वाले लोकल बॉडी इलेक्शन पर इसका असर जरूर दिखेगा। हार का लम्बा असर न पड़े इसलिए भाजपा इन 5 सीटों को जीतना चाहती है। भाजपा की मजबूरी है कि वो जातिगत समीकरण को साधे। इसलिए भाजपा में मंथन और चर्चाओं का दौर जारी है।