संघर्ष भरा रहा जीवन
भरत का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा है। उनके पिता मजदूरी कर घर को चलाते हैं। ऐसे में उनके घर के हालात भी अच्छे नहीं है। इसी कारण कुछ करने की लगन में भरत ने अपने आविष्कार के लिए कबाड़ का सहारा लिया।
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स्कूल का प्रोजेक्ट
भरत एक सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। वहां उन्हें कुछ बनाने का प्रोजेक्ट दिया गया। साइंस स्ट्रीम से होने के कारण उन्होंने कुछ अनोखा बनाने की सोची। इसके बाद उन्होंने सबसे पहले एटीएम मशीन का डिजाइन तैयार किया।
कई स्तर पर मशीन का चयन
कई रिपोर्ट्स के अनुसार भरत की इस मशीन को केंद्र सरकार की इंस्पायर्ड अवॉर्ड मानक योजना के तहत तैयार किया गया है। इस मशीन का चयन पहले स्टेट और अब नेशनल लेवल के लिए हुआ है। भरत ने बताया है कि इस अनोखी एटीएम मशीन को बनाने में 10 दिन का समय लगा है। घर पर पड़े कबाड़ जिसमें वायर, कागज, मोटर, रबड़ व ढक्कन आदि शामिल हैं, का प्रयोग कर इस मशीन को बनाया गया है। इस मशीन में पहले कार्ड डालना पड़ता है। मशीन में पिन पूछा जाता है। इसके बाद जितने पैसे चाहिए उतने टाइप करने पड़ते हैं।
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कबाड़ से बना यह एटीएम
इसमें जैसे ही एटीएम कार्ड डालेंगे तो यह ग्राहक से पिन मांगता है। पिन नंबर डालते ही जितने पैसे आपको चाहिए, उतने टाइप करते ही नोट बाहर आना शुरू हो जाते हैं। खास बात यह है कि मैनें इस मशीन में नोट के साथ सिक्के बाहर आने का प्रावधान भी रखा है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई 110 रुपए टाइप करेगा तो एटीएम मशीन एक 100 का नोट और एक 10 का सिक्का निकालेगा। अच्छी बात यह है कि ग्रामीण इलाके के लोग भी इसका इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं।