अभी तक के तीन चुनावों में कांटे की टक्कर वाली रही इस सीट पर इस बार अभी तक दोनों ही दलों ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। लेकिन इस बार भी मुकाबला रोचक रहने की संभावना है। 2013 में यहां से जीत दर्ज कर चतुर्वेदी तत्कालीन भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने तो इसके बाद 2018 के चुनाव में प्रताप सिंह जीतकर कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
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इस सीट को राजस्थान का केंद्र बिंदु भी कहा जा सकता है। यह सामान्य श्रेणी की सीट है। इस बार यहां जनता का मूड क्या रहेगा वो देखना दिलचस्प रहेगा। यहां की जनता अपना मूड बदलती रहती है।
पांच वर्ष में 4406 मतदाता बढ़े
सिविल लाइंस विधानसभा में बीते पांच वर्ष में 4406 मतदाता बढ़े हैं। इस चुनाव में यहां 241332 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। जिनमें 124614 पुरुष मतदाता और 1167़8 महिला मतदाता शामिल हैं।
तीन चुनावों का गणित
2008 : प्रताप सिंह को 58166 वोट मिले जो 49.83 फीसदी थे। बीजेपी के अशोक लाहोटी को 43.86 प्रतिशत के साथ 51205 वोट मिले।
2013 : भाजपा के अरुण चतुर्वेदी ने 77,693 वोट हासिल कर 51.62 फीसदी के साथ चुनाव जीता। कांग्रेस के प्रताप सिंह को 66,564 वोट मिले जो, 44.23 प्रतिशत रहे।
2018 चुनाव : प्रताप सिंह ने 53.53 प्रतिशत के साथ 87937 वोट हासिल कर जीत हासिल की। दूसरे नंबर अरुण चतुर्वेदी रहे., जिन्हें 69859 वोट मिले जो 42.53 प्रतिशत थे।
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अन्य राज्यों के लोग भी बड़ी संख्या में
सिविल लाइंस में अन्य राज्यों से आकर रहने वाले मतदाता भी बड़ी संख्या में है। यहां यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल के लोग रहते हैं। सोढ़ाला के सुशीलपुरा, रांकड़ी, प्रेम नगर में पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग रहते हैं। लंकापुरी व भट्टा बस्ती में यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोग रहते है। इस विधानसभा के कुछ इलाकों में पानी, सीवरेज और सड़कों की समस्याएं हैं।