गौरतलब है कि गहलोत ने जयपुर में पिछले दिनों आयोजित युवक कांग्रेस सम्मेलन के बाद करीब सौ टिकट पर प्रत्याशी बदलने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कई विधायक को भी अपनी सीट पर हार का खतरा दिख रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में 100 सीटे ऐसी है जहां पार्टी हार गई थी। इन सीटों पर भी नए सिरे से टिकट के लिए कवायद की जाएगी।
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सरकार बचाने वालों पर नजर
गौरतलब है कि प्रदेश में जुलाई 2020 में सचिन पायलट नाराज होकर करीब एक दर्जन से अधिक विधायकों को लेकर मानेसर चले गए थे। इस दौरान विधानसभा में निर्दलीय जीत कर आए विधायकों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया था। अपनी सरकार बचाने में इन विधायकों के सहयोग के संबंध में गहलोत कई बार सार्वजनिक रूप से भी कह चुके हैं। उनके वर्तमान बयान से यह स्पष्ट है कि सरकार बचाने वाले कांग्रेस पृष्ठ भूमि वाले निर्दलीय विधायकों को पार्टी इस बार अपना प्रत्याशी बना सकती है।
इन निर्दलीयों पर नजर
वर्तमान में सरकार को समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों में अधिकांश पूर्व कांग्रेसी है। इसमें मुख्य रूप से आलोक बेनीवाल शाहपुरा से चुनाव जीते है और कांग्रेस की सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुकी वरिष्ठ नेता कमला के पुत्र है। इसके अलावा बाबू लाल नागर पूर्व कांग्रेस सरकार में मंत्री थे, महादेव सिंह खंडेला पूर्व की यूपीए सरकार में मंत्री रहे थे। इसके अलावा संयम लोढा कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। अन्य में रमीला खडिया, राजकुमार गौड, लक्ष्मण मीणा, रामकेश, खुशवीर सिंह सहित अन्य विधायक भी कहीं ना कहीं कांग्रेस से जुडे़ हुए हैं।
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ये रहा था परिणाम
विधानसभा के वर्ष 2018 के चुनाव में 199 सीटो पर मतदान हुआ था। कांग्रेंस को 99 सीटे मिली थी और वह पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं कर पाई थी। चुनाव में भाजपा को 73, बसपा को 6, बेनीवाल की आरएलपी को 3, सीपीएम को 2, बीटीपी को 2, राष्ट्रीय लोकदल को एक और निर्दलीयों ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
100 सीटों पर हारी थी कांग्रेस
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 100 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इसमें से करीब आठ से दस बागी प्रत्याशीयों ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों को पराजित किया था। इसमें बाबूलाल नागर, महादेव सिंह खंडेला, राजकुमार गौड, संयम लोडा, खुशवीर सिंह प्रमुख नाम है। वर्तमान में इन सीटों पर कांग्रेस की ओर से जीते हुए प्रत्याशियों के नाम पर टिकट बदले जा सकते हैं।
एमएलए के टिकट भी कटेंगे?
वहीं पार्टी के सीटिंग एमएलए में भी करीब बीस से अधिक के टिकट पार्टी काट सकती है। इसके लिए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से चर्चा भी कराई जा रही है। वहीं मुख्यमंत्री गहलोत भी इन सीटों पर परिवर्तन को लेकर पार्टी आलाकमान के साथ बातचीत कर अपना पक्ष रख सकते हैं।