मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दौरे में प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर पर फोकस किया और इस दौरान आमजन के बीच भी गए। इसके लिए सीएम ने जहां महंगाई राहत के कार्यक्रम में शिरकत की, वहीं आमजन से सीधी मुलाकात के दौरान एक रेस्टोरेंट में रात को चाय भी पी। इस दौरान मुख्यमंत्री नेे क्षेत्र को लेकर बड़ी घोषणाएं की और अन्य आयोजनों में भी भाग लिया। तमाम कवायद के दौरान उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर पर सीएम का फोकस ज्यादा देखने को मिला है।
ये है वर्तमान स्थिति
मुख्यमंत्री की ओर से किए गए चार जिलों के दौरे में देखा जाए तो कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से पिछड़ गई थी। इन जिलों में 19 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास 7 और भाजपा के पास 9 सीटे हैं। वहीं दो सीटे बीटीपी और एक सीट निर्दलीय के पास है।
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उदयपुर में स्थिति सुधारने की कवायद
पिछले विधानसभा चुनाव में उदयपुर और राजसमंद की 12 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को मात्र चार सीटे ही मिली थी। इसमें भी राजसमंद में तो दोनों पार्टियां बराबरी पर थी, लेकिन उदयपुर में 8 में से 2 सीटों पर ही कांग्रेस को संतोष करना पड़ा था। शेष छह सीटे भाजपा के खाते में गई थी।
कटारिया के हटने से बदले समीकरण
उदयपुर में भाजपा की ओर से गुलाबचंद कटारिया पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से पार्टी को लगातार विजय दिलाते रहे हैं। पिछले चुनाव में भी पाटी ने उदयपुर जिले में छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार उदयपुर के समीकरण भी बदल रहे हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता कटारिया अब असम के राज्यपाल हो गए हैं और उनके स्थान पर फिलहाल भाजपा को उदयपुर में कोई बड़ा विकल्प नहीं मिल रहा है।
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माहेेश्वरी के बाद दीया
वहीं राजसमंद में भी वरिष्ठ नेता किरण माहेश्वरी के देहांत के बाद वरिष्ठ नेता नहीं है, यहां पर भी भाजपा कोई बड़ा नेता तय नहीं कर पाई है। हालांकि पीएम नरेन्द्र मोदी की राजसमंद यात्रा के दौरान सांसद दीया कुमारी काफी सक्रिय नजर आई थी, वहीं किरण माहेश्वरी की पुत्री दीप्ती माहेश्वरी भी विधायक बनने के बाद क्षेत्र में सक्रिय है।