एंबुलेंस के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया ना करवाने से कर्मचारी नाराज हैं और मांगें ना मानने तक प्रदेश में एंबुलेंस व्यवस्था बंद रहेगी। इसका बड़ा असर कोरोना के गंभीर मरीजों पर पड़ना तय है। खासकर गरीब मरीजों पर जो इलाज के लिए अस्पताल तक जाने के लिए इन एंबुलेंस पर ही निर्भर हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों वैसे भी गड़बड़ा चुकी हैं, उन पर भी यह हड़ताल असल डालेगी।
राजस्थान एबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि सरकार से बात करने पर हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया जाता है और मांगों का समाधान नहीं होता है। इस बात से प्रदेश के सभी एंबुलेंस कर्मचारी नाराज हैं और अब निश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इन एंबुलेंस कर्मचारियों का ठेका दो दिन में समाप्त होने वाला है। एंबुलेंस कर्मचारी चाहते हैं कि नया ठेका नई शर्तों के साथ हो।
उन्होंने बताया कि एंबुलेंस वाहनों में समय पर डीजल नहीं डलवाना, मरम्मत कार्य समय पर नहीं करवाना, एंबुलेस वाहनों में कोरोना से सुरक्षा के लिए मास्क ग्लव्स, सेनेटाइजर इत्यादि उपलब्ध नहीं करवाना, एंबुलेंस कर्मचारियों को बिना कारण कंपनी के अधिकारीयों की ओर से परेशान करना, खटारा एंबुलेंस वाहनों को जबदस्ती चलवाना व उनका डीजल एवरेज के लिए परेशान किया जाता है तथा वेतन वृद्धि रोकने से एंबुलेंस कर्मचारी नाराज हैं। शेखावत ने कहा कि यूनियन की मांगों पर एक साल से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसलिए मजबूरन हड़ताल जैसा कदम उठाया जा रहा है।