शिक्षकों पर एक ओर बोझ डालने की तैयारी° 175 रुपए में कैसे बनेगी दो यूनिफॉर्म
प्रदेश के 64 हजार 479 सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे पहली से आठवीं तक के बच्चों को सरकार ने निशुल्क यूनिफॉर्म उपलब्ध करवाए जाने की तैयारी कर ली है, लेकिन सरकार की इस तैयारी ने एक बार फिर शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी है।
शिक्षकों पर एक ओर बोझ डालने की तैयारी
शिक्षकों पर एक ओर बोझ डालने की तैयारी
कपड़ा देगी सरकार सिलवाने का कार्य करेंगे स्कूल
विद्यार्थियों को स्कूल ड्रेस देने की बजट घोषणा
शिक्षकों ने की सरकार से मांग, पुनर्विचार करे सरकार
सीधे पैसे सम्बंधित विद्यार्थियों के खाते में ट्रांसफर करने से नहीं रहेगी समस्या
जयपुर।
प्रदेश के 64 हजार 479 सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे पहली से आठवीं तक के बच्चों को सरकार ने निशुल्क यूनिफॉर्म उपलब्ध करवाए जाने की तैयारी कर ली है, लेकिन सरकार की इस तैयारी ने एक बार फिर शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी है। सरकार स्कूलों को यूनिफॉर्म के लिए कपड़ा उपलब्ध करवाएगी और इसे तैयार करवा कर देने का काम स्कूलों को करना होगा। सरकार के इस निर्णय के विरोध में शिक्षकों के स्वर उठने शुरू हो गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि सरकार रसोईया,दूधिया,डाकिया,बागवान,सुरक्षाकर्मी,राशन डीलर, चिकित्साकर्मी आदि के बाद अब उन्हें दर्जी बनाने की तैयारी कर रही है। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
87.50 रुपए में कैसे सिलेगी यूनिफॉर्म
जानकारी के मुताबिक स्कूल यूनिफॉर्म सिलवाने के लिए 175 रुपए दिए जाएंगे। यानी एक प्रति यूनिफॉर्म 87.50 रुपए दिए जाएंगे। जबकि मार्केट में एक पेंट शर्ट की सिलाई दर 600 रुपए और एक सलवार कुर्ते की 250 रुपए है लेकिन स्कूलों को 175 रुपए में दो यूनिफॉर्म सिलवानी होगी। सिलाई की दर का निर्धारण करना अव्यवहारिक है। शिक्षकों का कहना है कि यह बजट नाकाफी है। व्यवहारिकता में देखा जाए तो केवल 87.50 रुपए में कोई भी यूनिफॉर्म सिलने के लिए तैयार नहीं होगा। सरकार को यूनिफॉर्म सिलवाने का पैसा सीधे विद्यार्थियों के खाते में ट्रांसफर करना चाहिए। जिससे स्कूल प्रशासन को कोई समस्या नहीं रहेगी। स्कूलों में लेखा से जुड़े कोई विशेषज्ञ भी नहीं हैं।
अभिभावकों को संतुष्ट करना नहीं होगा आसान
कपड़े को स्कूल तक पहुंचाने, नाप लेने, बच्चे के नहीं मिलने पर किसी अन्य दिन उसका नाप लेने, सिलाई करवाने, सिलाई करने वाले टेलर को स्कूल बुलाने, डे्रस लाकर उसे बांटने, छोटा-बड़ा होने पर उसे सही करवाने, यूनिफॉर्म वितरण का रिकॉर्ड रखने और तैयार करने आदि कामों में शिक्षकों का काफी समय भी नष्ट होगा। उस पर सिलाई की गुणवत्ता को लेकर अभिभावकों और विद्यार्थियों के संतुष्ट नहीं होने पर उनके आक्रोश का सामना भी शिक्षकों को ही करना होगा।
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के महामंत्री रवि आचार्य ने कहा कि कपड़े के स्थान पर सीधे सिलाई की हुई रेडिमेड यूनिफॉर्म ही स्टूडेंट्स को दी जाए जिससे पूरे राज्य में कपड़े की क्वॉलिटी और सिलाई की गुणवत्ता और समरूपता बनी रहे। मार्केट में स्टूडेंट्स की आयु के अनुसार नाम के स्कूल यूनिफॉर्म आसानी से उपलब्ध हो जाती है। सरकार स्कूलों के बच्चो के लिए भी रेडीमेड यूनिफॉर्म देने की व्यवस्था अधिक उचित रहेगी।
गौरतलब है कि सरकार ने स्कूल प्रबंध समिति को विद्यार्थियों की यूनिफॉर्म सिलवाने की जिम्मेदारी दी है। एक विद्यार्थी को दो यूनिफॉर्म मिलेगी। जुलाई में यूनिफॉर्म देने के लिए शिक्षा विभाग 300 करोड़ तक का कपड़ा खरीद रहा है। एक बच्चे की 2 यूनिफॉर्म के कपड़े की कीमत 425 रुण् तय की गई है। स्कूल कमेटी को सिलाई के 175 रुपए दिए जाएंगे। इससे बच्चों के लिए नाप के हिसाब से यूनिफॉर्म सिलवाई जा सकेगी।
70 लाख में 36 लाख छात्राएं
पहली से 8वीं तक के 70,77,465 बच्चों को यूनिफॉर्म मिलेगी। इनमें 34,81,646 छात्र, 35,95,819 छात्राएं हैं। जयपुर जिले में 3,63,695 बच्चों में 1,75,813 छात्र और 1,8,882 छात्राएं हैं।
यह रहेगी यूनिफॉर्म
छात्रों को हल्की नीले शर्ट व गहरी भूरी/धूसर नेकर/पेंट। छात्राओं को हल्की नीली शर्ट/कुर्ता, गहरी भूरी/धूसर सलवार/स्कर्ट। पांचवीं तक छात्राओं को चुन्नी नहीं। 6 से 8 तक की छात्राओं की गहरा भूरा/धूसर दुपट्टा। पांचवीं तक के छात्रों को शर्ट व नेकर, 6 से 8 तक शर्ट व पेंट देने की योजना।
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