दरअसल, भजनलाल सरकार ने गाय को ‘अवारा’ कहने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। इसके मुताबिक अब गाय के लिए निराश्रित या बेसहारा जैसे शब्द का उपयोग करना होगा। इसके साथ ही सभी सरकारी आदेशों, दिशा-निर्देशों में या सूचना पत्र और रिपोर्ट में ‘आवारा’ शब्द की जगह गौवंश शब्द का उपयोग करने का आदेश जारी किया गया है।
टीकाराम जूली ने लगाए ये आरोप
लिहाजा, भजनलाल सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए नेता विपक्ष टीकाराम जूली ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि गाय के नाम पर राजनीति करने वालों को इस मामले में अपनी जवाबदेही तय करनी होगी। ‘मुंह में राम, बगल में छूरी’ यह है बीजेपी वालों की असलियत है। उन्होंने आगे कहा कि साल 2021 में करौली जिले में राजस्थान पुलिस ने नाजिम नामक शख्स और उनके कुछ साथियों को गौ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपियों को 26 गोवंशों की तस्करी कर उत्तर प्रदेश ले जाते हुए पकड़ा गया था जिसके बाद कई संगीन धाराओं में मुकदमा बना। आरोपी सेशन कोर्ट गए, जमानत नहीं मिली, हाईकोर्ट गए वहां भी निराशा हाथ लगी।
सरकार ने कोर्ट में वकील नहीं भेजा
इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां आरोपियों ने कहा जमानत दीजिए, लेकिन राजस्थान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका के खिलाफ सरकारी काउंसिल ही नहीं पहुंचा और वकालतनामा भी पेश नहीं किया गया और आरोपी को जमानत मिल गई। कोर्ट ने फैसले में लिखा- 8 अक्टूबर 2024 को राजस्थान सरकार को नोटिस दिया था लेकिन ना तो वकालतनामा आया ना कोई काउंसिल, यह प्रदेश का बड़ा दुर्भाग्य है कि उनको ऐसी पर्ची सरकार मिली। गाय BJP के लिए राजनीतिक हथियार- जूली
टीकाराम जूली ने आगे कहा कि आज प्रदेश के गोपालन विभाग ने एक नोटिस निकाला जिसमें कहा गया कि गाय को ‘आवारा’ नहीं कहा जाएगा, वो अपमानजनक है, उन्हें ‘निराश्रित’ या ‘बेसहारा’ कहा जाएगा। यह भाजपा सरकार सिर्फ नाम बदलने में एक्सपर्ट है। उन्होंने आगे कहा कि गाय भाजपा के लिए सिर्फ एक राजनीतिक हथियार है, काश: ये लोग गायों को राजनीतिक हथियार ना समझ कर सच में इज्जत करते तो आज आरोपियों को जमानत नहीं मिलती।
सरकार ने जारी किया ये आदेश
गौरतलब है कि भजनलाल सरकार ने उपचुनाव से पहले बड़ा दांव चलते हुए गायों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। फैसले के मुताबिक अब गायों के लिए आवारा और बेसहारा जैसे शब्दों के उपयोग पर रोक लगा दी है। आदेश के अनुसार अब गाय के लिए निराश्रित शब्द का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही सभी सरकारी आदेशों, दिशा-निर्देशों, सूचना पत्र, परिपत्र और रिपोर्ट में ‘आवारा’ शब्द की जगह निराश्रित गौवंश का उपयोग किया जाएगा।