ऐसा होता है तो 70 हजार करोड़ के
पीकेसी-ईआरसीपी प्रोजेक्ट में से केवल 7 हजार करोड़ ही राज्य सरकार को खर्च करने होंगे। केंद्र सरकार ने इसे रीवर लिंकिंग प्रोजेक्ट में शामिल किया है। इस परियोजना में 21 जिले शामिल हैं, जहां पेयजल व सिंचाई के लिए पानी पहुंचेगा। करीब 158 बांध-तालाब और अन्य जल स्रोत को भरा जाएगा। इसके लिए 600 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी रिजर्व रखेंगे।
डीपीआर बनने के बाद तय होगी वास्तविक लागत
इस बीच केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी ने गुरुवार को लोकसभा में कांग्रेस सांसद भजनलाल जाटव के सवाल के जवाब में बताया कि ईआरसीपी और पीकेसी लिंक परियोजना की अंतिम लागत दोनों राज्यों में सभी घटकों की डीपीआर तैयार होने के बाद तय होगी। मंत्री ने बताया कि इस परियोजना से राजस्थान के 21 और मध्यप्रदेश के 15 जिलों को सिंचाई और पेयजल उपलब्ध होगा। पीकेसी लिंक परियोजना में चबल, पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपारेल, गंभीरी और मेज नदी शामिल है। परियोजना शुरू होने की तारीख और कार्य पूरा होने की अवधि के बारे में मंत्री ने बताया कि यह इस बात पर निर्भर है कि दोनों राज्य संबंधित घटकों की डीपीआर कितने समय में पूरी करेंगे। इसके साथ ही आवश्यक वैधानिक मंजूरी लेनी होगी और अन्य प्रारंभिक आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
इन जिलों को होगा फायदा
पीकेसी-ईआरसीपी प्रोजेक्ट से राजस्थान के 21 जिलों को कृषि, उद्योगों व पेयजल के लिए पानी मिलेगा। पीकेसी-ईआरसीपी प्रोजेक्ट से जिन जिलों को फायदा होगा, उनमें झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, करौली, धौलपुर, भरतपुर, डीग, दौसा, अलवर, खैरथल-तिजारा, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, कोटपूतली-बहरोड़, अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, टोंक और दूदू जिला शामिल है। दो चरण में होगा काम
पहला चरण चार साल में पूरा होगा। इसमें नवनेरा बैराज से बीसलपुर और ईसरदा तक पानी लाया जाएगा। इसके तहत रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नौनेरा में नहरी तंत्र और पपिंग स्टेशन, मेज नदी पर पपिंग स्टेशन बनाया जाएगा। दूसरे चरण का प्लान फाइनल कर रहे हैं।