ईआरसीपी परियोजना 21 जिलों के लिए बनाई गई है। इनमें से तीन जिलों में उपचुनाव है। ऐसे में ईआरसीपी परियोजना का शिलान्यास होगा या नहीं। यह भी अभी तय होना बाकी है। ईआरसीपी परियोजना का शिलान्यास नहीं होता है तो पीएम चुनावी सभा को भी सम्बोधित कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री से सबसे बड़ी परियोजना के शिलान्यास की तैयारी
बता दें कि भजनलाल सरकार पीकेसी-ईआरसीपी योजना के पहले फेज का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराने की तैयारी कर रही है। इसे लेकर विधानसभा उपचुनाव की घोषणा से पहले कोर कमेटी की बैठक में भी चर्चा हुई थी। ईआरसीपी परियोजना के शिलान्यास से प्रदेश सरकार मतदाताओं को साधने का प्रयास करेगी।
इन जिलों की बुझेगी प्यास
पीकेसी-ईआरसीपी योजना से राजस्थान के 21 जिलों को पानी मिलेगा। जिनमें जयपुर, टोंक, अजमेर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी तो पहले से ही शामिल है। इसके अलावा बीजेपी सरकार ने आते ही दूदू, कोटपूतली-बहरोड़, डीग, शाहपुरा, केकड़ी, ब्यावर और गंगापुर को भी इसमें शामिल कर लिया है। साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए भी पानी मिलेगा। इस परियोजना से 90 की जगह 158 बांध-तालाब व अन्य जल स्रोतों तक पानी पहुंचेगा। जल संसाधन विभाग ने 21 जिलों के लिए नए सिरे से तैयार डीपीआर में छोटे-बड़े बांधों के अलावा तालाब व अन्य जल स्रोतों को भी जोड़ा है। क्या है PKC-ERCP परियोजना?
राजस्थान में ईआरसीपी यानी ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। इस परियोजना का नाम बदलकर अब पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट कर दिया है। राजस्थान में भाजपा सरकार बनते ही इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार के साथ एमओयू भी साइन हो चुका है। डबल इंजन की सरकार होने के कारण राजस्थान में परियोजना का काम अब रफ्तार पकड़ रहा है।
पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP) का कार्य दो चरणों में होगा। इसके निर्माण पर 70 हजार करोड़ से ज्यादा लागत आएगी। पहला चरण का काम चार साल में पूरा होगा। वर्ष 2028 तक बीसलपुर और ईसरदा बांध तक चंबल का पानी लाने की योजना है। वहीं, दूसरे चरण का काम भी पहले चरण के बीच ही शुरू किया जाएगा। सरकार दूसरे चरण पर भी होमवर्क कर रही है।