‘राजस्थान के लोगों को मिलेगा फ़ायदा’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राजस्थान की धरती को आज पहली वंदे भारत ट्रेन मिल रही है। दिल्ली कैंट – अजमेर वंदे भारत एक्सप्रेस से जयपुर दिल्ली आना-जाना और आसान हो जाएगा। यह ट्रेन राजस्थान की टूरिज्म इंडस्ट्री को भी मदद करेगी। तीर्थराज पुष्कर हो या अजमेर शरीफ, आस्था के ऐसे महत्वपूर्ण स्थलों तक पहुंचने पर भी श्रद्धालुओं को अब ज्यादा आसानी होगी।
‘अन्य कार्यों में लग रहा बचा समय’
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 2 महीनों में यह छटी वंदे भारत एक्सप्रेस है जिसे हरी झंडी दिखाने का मुझे सौभाग्य मिला है। जब से यह आधुनिक ट्रेनें शुरू हुई है तब से करीब-करीब 60 लाख लोग इन ट्रेनों में सफर कर चुके हैं। तेज रफ्तार वंदे भारत की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह लोगों का समय बचा रही है। एक स्टडी है की एक वंदे भारत की यात्रा करने पर लोगों के कुल मिलाकर करीब ढाई हजार घंटे बच रहे हैं। यात्रा में बचने वाले यह ढाई हजार घंटे लोगों को अन्य कार्यों के लिए उपलब्ध हो रहे हैं।
‘तमाम खूबियों से लैस है ट्रेन’
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग कौशल से लेकर सुरक्षा गारंटी तक, तेज रफ्तार से लेकर खूबसूरत डिजाइन तक, वंदे भारत तमाम खूबियों से संपन्न है। इन्हीं सब खूबियों को देखते हुए आज देशभर में वंदे भारत ट्रेन का गौरव गान हो रहा है। वंदे भारत में एक तरह से कई नई शुरुआत की है। ये एक सेमी हाई स्पीड ट्रेन है जो ‘मेड इन इंडिया’ है। पहली ऐसी ट्रेन है जो कंपैक्ट और एफिशिएंट है। पहली ट्रेन है जो स्वदेशी सेफ्टी कवच के अनुकूल है। ये ट्रेन भारतीय रेलवे इतिहास की वह पहली ट्रेन है जिसने बिना अतिरिक्त इंजन के ऊंचाई चढ़ाई पूरी कर ली है।
आज की यात्रा, कल का विकसित भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस भारत की ‘ऑलवेज फर्स्ट’ की भावना समृद्ध करती है। मुझे खुशी है कि वंदे भारत ट्रेन आज विकास आधुनिकता स्थिरता और आत्मनिर्भरता का पर्याय बन चुकी है। आज की वंदे भारत की यात्रा कल हमें विकसित भारत की यात्रा की ओर ले जाएगी। यह राजस्थान के लोगों को वंदे भारत ट्रेन के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
‘रेलवे आधुनिकीकरण पर रहा राजनीतिक स्वार्थ’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में केंद्र में सत्तासीन रही पूर्ववर्ती सरकारों पर जमकर ज़बानी प्रहार किये। उन्होंने कहा कि ये हमारे देश का दुर्भाग्य रहा कि रेलवे जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था जो सामान्य आदमी के जीवन का इतना बड़ा हिस्सा है, उसे भी राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया था। आजादी के बाद भी भारत को एक बड़ा रेलवे नेटवर्क मिला था, लेकिन रेलवे के आधुनिकीकरण पर हमेशा राजनीतिक स्वार्थ का दबाव रहा।
‘ट्रेने घोषित, पर चली ही नहीं’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि पहले राजनीतिक स्वार्थ को देखकर ही यह तय किया जाता था कि कौन रेल मंत्री बनेगा, कौन नहीं बनेगा? राजनीतिक स्वार्थ ही तय करता था कि कौन सी ट्रेन किस स्टेशन पर चलेगी? राजनीतिक स्वार्थ ने ही बजट में ऐसी-ऐसी ट्रेनों की घोषणा कर दी, जो चली ही नहीं। कभी हालत यह थे कि रेलवे की भर्तियों में राजनीति होती थी, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता था। हालत यह थे कि गरीब लोगों की जमीन छीनकर उन्हें रेलवे में नौकरी का झांसा दिया गया। देश में मौजूद हजारों मानवरहित क्रॉसिंग को भी अपने ही हाल पर छोड़ दिया गया था। रेलवे की सुरक्षा, स्वच्छता, प्लेटफार्म की स्वच्छता, सब कुछ नजरअंदाज कर दिया गया था।
‘2014 के बाद आने लगा बदलाव’
प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे की परिस्थितियों में बदलाव वर्ष 2014 के बाद से आना शुरू हुआ है। जब देश के लोगों ने स्थिर और पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई। जब सरकार पर राजनीतिक सौदेबाजी का दबाव हटा, तो रेलवे ने भी चैन की सांस ली और नई ऊंचाइयां पाने के लिए दौड़ पड़ी। आज हर भारतवासी भारतीय रेलवे का कायाकल्प देखकर गर्व से भरा हुआ है।
‘राजस्थान में कनेक्टिविटी हो रही मजबूत’
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान के लोगों ने हमेशा हम सभी को अपना भरपूर आशीर्वाद दिया है। शूरवीरों की धरती को हमारी सरकार नई संभावनाओं और नए अवसरों की धरती भी बना रही है। राजस्थान देश के टॉप टूरिस्ट डेस्टिनेशन में एक है। यह बहुत जरूरी है कि राजस्थान आने वाले सैलानियों का समय बचे, उन्हें ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले, इसमें बहुत बड़ी भूमिका कनेक्टिविटी की है। राजस्थान की कनेक्टिविटी को लेकर जो काम बीते वर्षो में केंद्र सरकार ने किया है वह वाकई स्वीकार करना होगा कि यह काम अभूतपूर्व हुआ है।
‘राजस्थान में रोड़-रेल केंद्र की प्राथमिकता’
प्रधानमंत्री ने बिते फरवरी में दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे की दिल्ली दौसा लालसोट हिस्से के लोकार्पण का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि एक्सप्रेस-वे लोकार्पण के लिए दौसा आने का मौका मिला था। इस एक्सप्रेस-वे से दौसा के साथ ही अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी और कोटा जिलों के लोगों को बहुत लाभ होगा। केंद्र सरकार राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी लगभग 14 सौ किलोमीटर की सड़कों पर काम कर रही है। अभी करीब 1000 किलोमीटर की सड़कें राजस्थान में और बनाने का प्रस्ताव है। हमारी सरकार रोड के साथ ही राजस्थान में रेल कनेक्टिविटी को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।