हीरेन जोशी जयपुर। राजधानी में पहली बार रिवाजी जांच की बजाय विदेशी तकनीक से 19 जगहों की प्रदूषण जांच की गई। मानसरोवर में पार्टिकुलेटेड मैटर (पीएम) 2.5 का स्तर सबसे ज्यादा पाया गया। यह मानक का करीब दो गुना मिला। वहीं छोटी चौपड़ पर कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) का स्तर सबसे ज्यादा मिला। न्यूजीलैंड की कंपनी की तकनीक से दिल्ली के बाहर देश में पहली बार जयपुर में जांच हुई। वाहनों पर लगे जांच संयंत्रों के जरिए 28 से 30 जनवरी तक जुटाए गए आंकड़ों का आकलन कर शनिवार को इसे जारी किया गया। इनमें सामने आया कि प्रदूषण के बड़े कारक पार्टिकुलेटेड मैटर का साया शहर पर बढ़ रहा है।
क्या है पीएम 2.5
राज्य में अब तक पीएम 10 की जांच होती है। पहली बार पीएम 2.5 की जांच हुई। ये वातावरण में मौजूद धूल के कण हैं जो डीजल इंजन के वाहनों से सबसे ज्यादा निकलते हैं। इसका मतलब है कि 2.5 माइक्रोग्राम से भी पतले आकार के कण। ये फेफड़ों के कैंसर कारक भी हैं। दोनों का ही स्तर राजधानी में मानक से ज्यादा मिला।
अभी 6 जगह जांच
फिलहाल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सहयोग से राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल जयपुर-जोधपुर में 6-6, अलवर, कोटा एवं उदयपुर में 3-3 स्थानों पर लगे संयंत्रों से प्रदूषण जांच करता है। कुल मिलाकर प्रदेशभर में 21 जगह प्रदूषण जांचने के संयंत्र हैं, लेकिन इन्हें कहीं लाया या ले जाया नहीं जा सकता।
जांच के एेसे वाहन जल्द खरीदे जाएंगे
पहली बार शहर के 19 क्षेत्रों के प्रदूषण की स्थिति पता चली है। हमारे विशेषज्ञों ने इसकी बारीकी से जांच की है। मंडल जल्द ही प्रदूषण जांच के एेसे मोबिलिटी वाले वाहन खरीदेगा और राज्यभर में एेसी जांच की जा सकेगी। अपर्णा अरोड़ा, अध्यक्ष, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल
Hindi News / Jaipur / मानसरोवर में पीएम-2.5, छोटी चौपड़ पर कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर ज्यादा