जयपुर में नाटक ‘महाभारत’ को लेकर आए पुनीत ने विशेष बातचीत में कहा कि, बिड़ला ऑडिटोरियम में रविवार को यह नाटक प्रस्तुत किया जाएगा। जिसमें मेरे साथ राहुल भूचर, मेघना मिलक, उर्वशी ढोलकिया, गूफी पेंटल, सुरेन्द्र पाल, आरती नागपाल, विजेता भारद्वाज, दानिश अख्तर, यशोधन राधा, सिद्धान्त जैसे एक्टर नजर आएंगे।
मेरी असली पहचान दुर्योधन से ही है पुनीत ने कहा कि ’30 साल पहले टीवी पर आए बीआर चोपड़ा के शो ‘महाभारत’ में निभाए दुर्योधन के किरदार ने भी चर्चा दिलाई है। इस बार यह किरदार नए अंदाज में नजर आए, इस पूरे शो को काव्यात्मक अंदाज में प्रस्तुत किया जाएगा। अभी इसके दिल्ली में 6 शो हुए हैं और हमें खूब प्रशंसा मिली है। इस श्किरदार के लिए मैंने 22 किलो वजन कम किया है, 30 साल पहले वाले किरदार में 96 किलो वजन था और इस बार 98 किलो वजन है। फिजिकली फिट रहना इस किरदार के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी और पिछने नौ महीने मैंने इस पर जमकर काम किया है। वैसे मैं दुयोधन को हीरो नहीं बना रहा, बस उसका पक्ष रख रहा हूं। यह दर्शकों को पर छोड़ता हूं कि वे इसे किस तरह देखते है।
पैदा होते ही जूनियर दुर्योधन नाम मिला था सिद्धांत इस्सर ने बताया कि ‘मेरा जब जन्म हुआ था, उस वक्त महाभारत शो सबसे ज्यादा चर्चा में था। ऐसे में जब हॉस्पिटल में जब नर्स ने हाथ में लिया, तो कहा कि इस दुनिया में जूनियर दुर्योधन आया है। ऐसे में यह किरदार मेरे जन्म के साथ जुड़ा हुआ है। यह मेरे लिए बहुत बड़ी अपॉच्यूनिटी थी कि पिता के निभाए किरदार को फिर से जीवंत कर सकूं। इसे मैंने चैलेंज की तरह लिया, मैंने इसके लिए अपना वजन बढ़ाया और बॉडी पर जमकर काम किया। यहां तक की बाल भी ऑरिजनली ही लम्बे रखे हैं। वैसे जब मेरे पिता ने यह किरदार किया था, तब उनके साथ रेफरेंसेज नहीं थे, जबकि मेरे पास बहुत सारे थे। मैंने बीआर चोपड़ा की महाभारत पांच बार देखी है। मेरे किरदार में दुर्योधन का एंगर वाला लुक ही नहीं बहुत ऐसे नजरीए नजर आएंगे, जो लोगों ने नहीं देखे है।’
‘भांजे’ शब्द खून में समा गया है गुफी पेंटल ने कहा कि 30 साल पहले मैंने ‘भांजे’ शब्द को लोकप्रिय किया था और फिर अब उसी शब्द के साथ मंच पर नजर आउंगा। यह मेरे लिए बहुत ही रोमांचक लम्हा है, वैसे यह शब्द मेरे खून में समां गया था। पुनीत के साथ इस बार थिएटर पर काम करने के दौरान वापिस अपनी पुरान उम्र में पहुंच गया हूं और पूरी ऊर्जा के साथ इसमें दिखूंगा। दिल्ली में जब हमें तालियां मिल रही थी, तो लग रहा था कि हम अभी जिन्दा है, इस दुनिया में।