वार्ता के दौरान ही पटवारियों और मंत्री ने एक दूसरे पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए। मंत्री के सामने पटवार संघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र कविया ने ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानान्तरण नियम 9 (बी) में पटवारी प्रताड़ित होते हैं। तबादला कर दिया जाता है। इनसे 50 हजार से एक लाख रुपए मांगे जाते हैं। फिर पैसे देकर वापस आते हैं।
उन्होंने कहा कि ट्रांसफर में भ्रष्टाचार होता है। मांगों को अगर मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे तो हम भी आपका साथ देंगे, नहीं तो आंदोलन करेंगे। यह सुनकर मंत्री रामलाल ने भी पटवारियों पर आरोप जड़ दिए।
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भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद मंत्री ने पटवारियों को आड़े हाथ लिया। मंत्री बोले कि मैंने कई बार कहा है कि पटवारी विरासत व रजिस्ट्री से जुड़े 80 फीसदी नामांतरण खोलने में 2-3 महीने लगाते हैं। जबकि यह 30 दिन में खुल जाने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता हैं। एंटी करप्शन की रिपोर्ट देखता हूं कि सबसे ज्यादा पुलिस व पटवारी एसीबी में पकड़े जाते हैं। क्योंकि दोनों का लिंक रहता है। इससे आपके साथ सरकार की बदनामी भी होती है। नामांतरण समय पर खोल दो तो कोई करप्शन की शिकायत नहीं आएगी। लेकिन भ्रष्टाचार की खबरों आने से मुझे भी शर्म आती है।
पद विलोपित, वेतन बढ़ोतरी समेत कई मांगें
सीनियर पटवारी के पद को विलोपित करने।
नायब तहसीलदार के पद 100 फीसदी प्रमोशन के जरिए भरने।
पटवारियों के ग्रेड-पे को बढ़ाने, तहसीलदारों के कैडर का रिव्यू करके नए पद सृजित करने।
पटवारियों का ग्रेड-पे बढ़ाकर एल-6 करने।
पटवारियों के लिए स्थानान्तरण नियम 9 (बी) को वापस बहाल करने।