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जयपुर

पद्मावत विवाद के बीच चाैंकाने वाला खुलासा, सिंघल द्वीप की नहीं पूगल की थी रानी पद्मिनी

फिल्म पद्मावत के विवाद के बीच राजधानी में चल रहे लिटरेचर फेस्टिवल में रानी पद्मिनी को लेकर नया तथ्य सामने आया है।

जयपुरJan 26, 2018 / 11:10 am

Santosh Trivedi

padmaavat
जयपुर। फिल्म पद्मावत के विवाद के बीच राजधानी में चल रहे लिटरेचर फेस्टिवल में रानी पद्मिनी को लेकर नया तथ्य सामने आया है। इसके अनुसार रानी पद्मिनी सिंघल द्वीप (श्रीलंका) की नहीं बल्कि पूगल की थी। पूगल वर्तमान में बीकानेर जिले में एतिहासिक कस्बा है।
फेस्टिवल में गुरुवार को लेखिका मृदुला बिहारी की ‘पद्मिनी : द स्प्रिटेड क्वीन ऑफ चित्तौड़’ लॉन्च की गई। इसी किताब में यह तथ्य सामने आया है। यह किताब 1900 में आई पूर्णाहुति का अंग्रेजी अनुवाद है। लेखिका ने किताब से जुड़े अनुभव साझा किए।
बिहारी ने बताया कि पद्मिनी पर अब तक 200-300 किताबें लिखी जा चुकी हैं। उन्होंने लिखने से पहले काफी साहित्य पढ़ा। मेवाड़ की राजकुमारियों से मिली। पांच साल की मेहनत के बाद पद्मिनी पर किताब लिखी।
पूगल की थीं, ये बताए कारण
-रानी के जीवन, आचार-व्यवहार से नहीं लगता कि वे सिंघल द्वीप की थीं। इसके प्रमाण कहीं नहीं मिलते।

-लेखिका पूगल में गईं तो पता चला कि वहां के लोग पद्मिनी को बेटी मानते हैं। स्थानीय लोक गायक सुबान खान ने पद्मिनी के बारे में बहुत कुछ बताया।
-अमर प्रेमकथा ढोला-मारू की मारू भी पूगल की ही थी।
-वह प्रतिहार पंवारों की राजकुमारी थी। इसका प्रमाणिक तौर पर उल्लेख नहीं किया जा सकता। लेकिन उन्होंने भी मन ही मन पद्मिनी को पूगल की माना हैं।

कृष्ण की गोपियों की वंशज हूं, इसलिए खूबसूरत
किताब के एक अंश का जिक्र करते हुए लेखिका ने बताया, एक बार रानी पद्मिनी से पूछा गया कि रेगिस्तान की निवासी होने के बावजूद इतनी सुंदर कैसे हैं। इस पर पद्मिनी ने जवाब दिया कि जब श्रीकृष्ण मथुरा से द्वारिका जा रहे थे, तब उन्होंने पूगल का रास्ता लिया था। उनके पीछे मथुरा से गोपियां भी आ रही थी। मगर पूगल में आकर रास्ता भटक गई और यहीं रह गई। वह उन्हीं गोपियों की वंशज है। इसी कारण इतनी खूबसूरत हैं।
राजनीतिक कारण भी जिम्मेदार
लेखिका ने कहा कि चित्तौड़ पर मुगलों के आक्रमण का कारण रानी पद्मिनी थी। इससे भी बड़ा कारण राजनीतिक था। चित्तौड़ के रास्ते ही अरब सागर के बंदरगाह से व्यापार होता था। मुगलों को चित्तौड़ में कड़ी टक्कर लेनी पड़ती थी। चित्तैड़ पर कब्जे बिना व्यापार में बाधा आ रही थी।
इतिहास नहीं सृजन का क्षेत्र
बिहारी ने बताया कि कभी भी ऐतिहासिक उपन्यास, इतिहास नहीं होता। बल्कि यह तो सृजन का क्षेत्र है। लेखक इतिहास को अपने शब्दों में लिखता है।

भंसाली ने नहीं हुई बात
बिहारी ने कहा कि पद्मावत फिल्म बनने से पहले या बाद में कभी भी निर्माता संजय लीला भंसाली से बात नहीं हुई।

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