-रानी के जीवन, आचार-व्यवहार से नहीं लगता कि वे सिंघल द्वीप की थीं। इसके प्रमाण कहीं नहीं मिलते। -लेखिका पूगल में गईं तो पता चला कि वहां के लोग पद्मिनी को बेटी मानते हैं। स्थानीय लोक गायक सुबान खान ने पद्मिनी के बारे में बहुत कुछ बताया।
-अमर प्रेमकथा ढोला-मारू की मारू भी पूगल की ही थी।
किताब के एक अंश का जिक्र करते हुए लेखिका ने बताया, एक बार रानी पद्मिनी से पूछा गया कि रेगिस्तान की निवासी होने के बावजूद इतनी सुंदर कैसे हैं। इस पर पद्मिनी ने जवाब दिया कि जब श्रीकृष्ण मथुरा से द्वारिका जा रहे थे, तब उन्होंने पूगल का रास्ता लिया था। उनके पीछे मथुरा से गोपियां भी आ रही थी। मगर पूगल में आकर रास्ता भटक गई और यहीं रह गई। वह उन्हीं गोपियों की वंशज है। इसी कारण इतनी खूबसूरत हैं।
लेखिका ने कहा कि चित्तौड़ पर मुगलों के आक्रमण का कारण रानी पद्मिनी थी। इससे भी बड़ा कारण राजनीतिक था। चित्तौड़ के रास्ते ही अरब सागर के बंदरगाह से व्यापार होता था। मुगलों को चित्तौड़ में कड़ी टक्कर लेनी पड़ती थी। चित्तैड़ पर कब्जे बिना व्यापार में बाधा आ रही थी।
बिहारी ने बताया कि कभी भी ऐतिहासिक उपन्यास, इतिहास नहीं होता। बल्कि यह तो सृजन का क्षेत्र है। लेखक इतिहास को अपने शब्दों में लिखता है। भंसाली ने नहीं हुई बात
बिहारी ने कहा कि पद्मावत फिल्म बनने से पहले या बाद में कभी भी निर्माता संजय लीला भंसाली से बात नहीं हुई।