इस अवसर पर डॉ. पृथ्वी ने कहा कि कारखाने को सुरक्षित कार्यस्थल बनाने के लिए वहां के खतरे व उनकी रोकथाम के लिए मानक संचालन प्रक्रिया, निर्देशों का निर्धारण, उनका प्रशिक्षण व उनका पालन किया जाना सभी के लिए आवश्यक है। मानव जीवन बहुत कीमती होता है। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि राजस्थान के कारखानों में वैश्विक मानदंडों को स्थापित कर सकें और वैज्ञानिक प्रबंधन के द्वारा श्रमिकों के हितों की रक्षा हो सके। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य उद्योगों, कार्यस्थलों और समुदायों सहित सभी क्षेत्रों में सुरक्षित प्रथाओं को अपनाने को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि राजस्थान में औद्योगिक कारीगरों के लिए वैश्विक मानदंडों को स्थापित करें जिससे शत-प्रतिशत सुरक्षा उपलब्ध हो सकें।
कार्यक्रम में विशिष्ट शासन सचिव एवं श्रम आयुक्त कर्ण सिंह ने कारखानों की महत्ता बताते हुए कहा कि कारखाने हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो रोजगार प्रदान करते हैं और समाज की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हमें अपने कारीगरों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना चाहिए। कारखानों द्वारा टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल, पारिस्थितिकी संतुलन और कार्बन फुट प्रिन्ट को कम करने का प्रयास होना चाहिए। श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए हमें सुरक्षात्मक मानकों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य निरीक्षक कारखाना एवं बॉयलर्स डी. एल. डामोर ने कहा कि राज्य के विकास में कल-कारखानों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभाग और परिषद हर समय श्रमिकों की सुरक्षा के लिए उत्सुक रहते हैं। कार्यक्रम में 33 जिलों से 58 कारखानों को सुरक्षा मापदण्डों पर खरा उतरने एवं श्रमिक सुरक्षा में अभिनव कार्य करने के लिए कारखाना सुरक्षा पुरस्कार योजना- 2024 के तहत पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर सुरक्षा मानकों सम्बंधी प्रदर्शनी लगाई गई।एक सेफ्टी फिल्म शो का प्रिव्यू रखा गया तथा सुरक्षा पुस्तिका, सुरक्षा पोस्टर का विमोचन भी किया गया ।
कार्यक्रम में उप मुख्य निरीक्षक कारखाना,सचिव राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, राजस्थान स्टेट चैप्टर श्री हरीशंकर, विभिन्न क्षेत्रों के कारखानों के प्रतिनिधि एवं उनके सहयोगी तथा गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य उद्योगों, कार्यस्थलों और समुदायों सहित सभी क्षेत्रों में सुरक्षित प्रथाओं को अपनाने को बढ़ावा देना है। इस दिन सुरक्षा मुद्दों को लेकर जागरूकता फैलायी जाती है और लोगों को सुरक्षा उपायों के बारे में बताया जाता है।