हालांकि पार्टी को जो 50 लाख का टारगेट मिला हुआ था उससे 21 लाख सदस्य कम बन पाए हैं। हालांकि अभियान की शुरुआती सुस्त साल के बाद पिछले 15 दिन में प्रदेश कांग्रेस ने युद्ध स्तर पर काम करते हुए ऑनलाइन और ऑफलाइन मेंबरशिप अभियान में जोर-शोर से सदस्य बनाए थे तब जाकर आंकड़ा 29 लाख के पार पहुंचा है और प्रदेश कांग्रेस की लाज बच पाई। 29 लाख सदस्य बनाए जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस ने भी राहत की सांस ली है।
31 मार्च तक 2 लाख सदस्य ही बन पाए
दरअसल 31 मार्च पहले अभियान के अंतिम तिथि थी लेकिन अभियान की अंतिम तिथि तक डिजिटल मेंबरशिप अभियान के जरिए केवल 2 लाख सदस्य ही बन पाए थे। इसके बाद आनन-फानन में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 15 दिन का समय बढ़ाते हुए अभियान को 15 अप्रैल तक कर दिया था और उसके बाद कांग्रेस विधायकों और पार्टी नेताओं ने जोर-शोर से अभियान में भागीदारी की और डिजिटल मेंबरशिप का आंकड़ा 15 अप्रैल तक 15 लाख के पार पहुंच गया।
पिछली बार बने थे 35 लाख सदस्य
इससे पहले तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के समय राजस्थान कांग्रेस ने 35 लाख सदस्य बनाए गए थे। हालांकि इस बार पिछली बार से चार लाख का आंकड़ा कम है लेकिन 29 लाख सदस्य बनने के बाद कहीं न कहीं प्रदेश नेतृत्व भी राहत की सांस ले रहे हैं।
कांग्रेस के पांच विधायक रहे टॉप पर
वहीं कांग्रेस सदस्यता अभियान में प्रदेश कांग्रेस के पांच विधायक ही टॉप पर रहे हैं। इनमें दो कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा सदस्य बनाने वाले मंत्री टीकाराम जूली सबसे आगे हैं। टीकाराम जूली ने अपने विधानसभा क्षेत्र अलवर ग्रामीण में 39554 सदस्य बनाए हैं। उसके बाद मंत्री ममता भूपेश 35064, विधायक दिव्या मदेरणा 33920, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा 32947 और विधायक सुरेश मोदी 30283 हैं।