दरअसल, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में पिछले 3 साल और वर्तमान में राजस्थान के कितने सरकारी और निजी अस्पताल पैनल में है? कांग्रेस सांसद हरीश मीणा ने लोकसभा में इसकी जानकारी मांगी। इस सवाल पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस साल 24 नवंबर तक के आंकड़े दिए हैं उसके मुताबिक इस राजस्थान में एक भी सरकारी या निजी अस्पताल इस योजना के पैनल में शामिल नहीं हुआ है।
राजस्थान में लगातार गिरावट
पिछले कुछ वर्षों में राज्य में आयुष्मान भारत योजना के तहत पैनल में शामिल अस्पतालों की संख्या में भारी गिरावट आई है- 2021: 42 सार्वजनिक और 421 निजी अस्पताल योजना के पैनल में थे। 2022: यह संख्या घटकर 60 सार्वजनिक और 209 निजी अस्पताल रह गई। 2023: पैनल में सिर्फ 31 सार्वजनिक और 64 निजी अस्पताल ही बचे। 2024: अब एक भी अस्पताल इस योजना का हिस्सा नहीं है।
बता दें, राजस्थान में केंद्र की आयुष्मान भारत योजना के ठप होने के बावजूद राज्य सरकार अपनी मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना चला रही है। यह योजना राज्य सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना है, जिसमें जनता को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं।
केंद्र और राज्य में तालमेल की कमी?
जानकारों का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी के चलते आयुष्मान भारत योजना राजस्थान में असफल हो रही है। जहां केंद्र आयुष्मान योजना को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम मानता है। लेकिन आयुष्मान भारत योजना के राजस्थान में ठप होने से लाखों लोग इस योजना के लाभ से वंचित हो रहे हैं। हालांकि, राज्य की मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना जारी है।
क्या आयुष्मान भारत योजना?
गौरतलब है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना है केंद्र की है महत्वपूर्ण योजना है जिसका लक्ष्य लगभग 55 करोड़ लाभार्थियों को प्रति परिवार हर साल 5 लाख रुपये का बीमा स्वास्थ्य कवर देना है। 31 अक्टूबर, 2024 तक इस योजना में कुल 35.8 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। वहीं संसद में ही बीते दिनों केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि अस्पतालों में इलाज से इनकार, भर्ती, डिस्चार्ज या दवाओं-जांच के लिए पैसे लेने जैसी कई शिकायतें मिल रही है जहां 25 नवंबर तक सिस्टम में ऐसी कुल 18,184 शिकायतें दर्ज की गई हैं।