इन परीक्षार्थियों को थानेदार बनने के लिए साक्षात्कार में कैसे पास कर दिया गया। पहले ही पेपर लेकर फिर परीक्षा देने जाने वाले थानेदारों ने भी साक्षात्कार में घालमेल किया है। सरकार विशेष बोर्ड का गठन कर उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा में पास होने वाले थानेदारों का फिर से साक्षात्कार लिया जाना चाहिए। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। गत सरकार में आरपीएससी के कई सदस्यों पर पहले भी आरोप लग चुके हैं। लेकिन जांच करने वाली एजेंसी शुरुआत में तो सदस्यों के खिलाफ जांच करना बताती रही और फिर बाद में जांच के नाम पर खानापूर्ति कर इतिश्री कर ली।
सूत्रों के मुताबिक उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा में लिखित पेपर में पूरे नंबर लाने के बावजूद साक्षात्कार में पास होना जरूरी है। साक्षात्कार में 50 में से 17 नंबर लाने जरूरी हैं। लेकिन गिरफ्तार होने वाले तीन परीक्षार्थी (थानेदार) ऐसे भी हैं, जिनके साक्षात्कार में 15-15 नंबर आए।
अब यह भी सवाल उठ रहा है कि कम से कम 17 नंबर की बाध्यता हटा दी गई थी क्या? जबकि कईयों के 17 से अधिक नंबर आए हैं। आरपीएससी की उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं कि एक दिन में होने वाली भर्ती परीक्षा तीन दिन तक क्यों करवाई। सभी परीक्षार्थियों से एक समान सवाल पूछने की बजाय तीनों दिन अलग-अलग सवाल पूछे गए। एक परीक्षा के लिए परीक्षार्थियों से अलग-अलग सवालों के पेपर क्यों बनाए गए।
राजस्थान पुलिस के कुछ अधिकारियों का कहना है कि 640 प्रशिक्षु थानेदारों में 50 से अधिक की स्नातक की डिग्री दूसरे राज्यों की होना बताई जा रही है। इन सभी की डिग्री की जांच होनी चाहिए। बाहरी राज्यों में जिस भी विश्वविद्यालय की डिग्री है, वहां पर वो विश्वविद्यालय अस्तित्व में है या नहीं, विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता कितनी है और नियमानुसार डिग्री ली गई है या नहीं। इन सबकी भी जांच होनी चाहिए।
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एसओजी की गिरफ्त में आए थानेदारों में टॉपर नरेश कुमार के साक्षात्कार के नंबरों को देखा जाए तो उसका साक्षात्कार लेने वालों ने वहां भी उसे टॉप पर रखा है। साक्षात्कार में नरेश कुमार बिश्नोई के 50 में से 34 नंबर आए।
एसओजी ने गिरफ्तार आरोपियों से पूछा कि उनके 200-200 नंबरों के हुए हिंदी व सामान्य ज्ञान परीक्षा में कितने नंबर आए। तीन थानेदारों के अलावा किसी को भी उनके कितने नंबर आए, इसकी जानकारी नहीं थी।
इस मामले पर राजस्थान एटीएस-एसओजी के एडीजी वीके सिंह का कहना है कि पेपर लीक मामले में भर्ती हुए थानेदारों के संबंध में तो जांच चल रही है। इनकी शैक्षणिक योग्यता की जांच भी की जा रही है।
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